जर्मनी के बर्लिन में एक भारतीय दंपति अपनी ही बेटी अरिहा को पाने के लिए 15 महीनों से कानूनी लड़ाई लड़ रहा है। गुजराती मूल का ये परिवार बर्लिन में रहता है। अरिहा के पिता यहां वर्क वीसा पर आए थे और सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम कर रहे थे। मां धारा शाह के अनुसार पहले उनका जीवन सामान्य था, लेकिन सितंबर 2021 के बाद पूरी तरह पलट गया।
उस समय अरिहा करीब 7 महीने की थी। उसकी दादी जर्मनी आई थीं और गलती से उनके द्वारा अरिहा के प्राइवेट पार्ट पर चोट लग गई। इसके बाद वे अरिहा को अस्पताल ले गए, यहां उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लग गया। बच्ची को फोस्टर केयर में भेज दिया गया। फरवरी 2022 में बिना किसी आरोप के जांच बंद कर दी गई, लेकिन अरिहा को अभी तक माता-पिता के पास वापस नहीं भेजा।
मां का डर बेटी भारतीय रीति रिवाजों से दूर जा रही
बर्लिन चाइल्ड सर्विसेज ने बच्ची पर से माता-पिता का अधिकार खत्म करने का मामला दायर किया है। मामले की सुनवाई शुरू नहीं हुई है। ये मामला 2-3 साल तक चलेगा। मां धारा ने कहा कि अरिहा अपने रीति-रिवाजों से भी दूर हो रही है। हम मीट नहीं खाते थे, लेकिन फोस्टर केयर में उसे ये सब खाना पड़ रहा है। जबकि, हम जैन समुदाय से हैं। अरिहा के माता-पिता उसे लेकर भारत लौटना चाहते हैं, लेकिन उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा है। उन्हें डर है कि उनकी बच्ची हमेशा के लिए उनसे दूर न हो जाए। क्योंकि नियम के मुताबिक, निश्चित समय तक बच्चे को फोस्टर केयर में रखने के बाद उसे असली मां-बाप के पास नहीं भेजा जाता।
जर्मनी की विदेश मंत्री ने कहा- मामला कोर्ट में लंबित, फैसले के बाद ही कुछ तय होगा
बच्ची के माता-पिता बीते एक साल से भारत के विदेश मंत्रालय से बात कर रहे हैं। उन्होंने मामले में हस्तक्षेप करने की बात भी कही थी। जर्मनी के राजदूत फिलिप एकरमैन ने एक हफ्ते पहले ही कहा था कि वे इस मुद्दे की गंभीरता से वाकिफ हैं। जर्मनी की विदेश मंत्री अन्नालेना बेयरबॉक ने कहा कि बच्चे की भलाई प्राथमिकता है। एजेंसी बच्चे को तभी अपनी हिरासत में लेती है, जब बच्चा अपने घर में सुरक्षित नहीं है। फिलहाल मामला कोर्ट में लंबित है। फैसले के बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है।