ब्यूरो बांदा
बांदा। दीपावली के दूसरे दिन परीवा को बुंदेलखंड की परंपरागत मशहूर लोकविधा दिवारी नृत्य की धूम रही। एक-दूसरे पर लाठियां बरसाते और बचाव करते हैरतअंगेज कारनामे देखने को दर्शकों का हुजूम उमड़ पड़ा।रंग-बिरंगी पोशाक वालों का डंडा नृत्य और मोर पंख धारक मौनियों का नृत्य आकर्षण का केंद्र रहा। शुक्रवार को यमुना घाटों, देवालयों समेत गांव-गांव दीवारी नृत्य का प्रदर्शन हुआ।
दिवारी खेलने वालों के साथ मौन चराने वाले मौनिया मोर पंख लिए उछल-कूद मचाते रहे। मुख्यालय स्थित महेश्वरी देवी मंदिर के सामने सुबह से देर शाम तक दिवारी और पाई डंडा नृत्य की धूम रही। दर्जनों गांवों की टीमों ने देवी दरबार में मत्था टेककर दिवारी खेली।ढोल-नगाड़ा की धुनों ने उन्हें और जोशीला बना दिया। अतर्रा के गौरा बाबा धाम में क्षेत्रीय गांवों की दिवारी टीमों का जमघट लगा। खप्टिहा के कालेश्वर मंदिर में भी दिवारी नृत्य की धूम रही।