नई दिल्ली: चैटजीपीटी (ChatGPT) की दुनियाभर में चर्चा है। तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। दावा हो रहा है कि यह इंसानों की जरूरत खत्म कर देगा। इंजीनियरिंग से जुड़ी ज्यादातर नौकरियों का यह सफाया करने वाला है। और न जाने क्या-क्या। बेशक, ऐसा कहने और दावा करने वाले जानकारों के अपने कारण हो सकते हैं। लेकिन, यकीन के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता है। यह सही है कि एआई चैटबॉट कई क्षेत्रों में इंसानों से कहीं बेहतर है। लेकिन, उसकी सीमाएं भी हैं। यह खामी उजागर भी हो गई है। चैटजीपीटी ने भारत के जेईई एंट्रेंस एग्जाम में बेहद खराब प्रदर्शन किया है। वह सिर्फ 11 सवालों का सही जवाब दे पाया। इसके उलट वह बड़े-बड़े विदेशी एग्जाम क्रैक करने में सफल रहा। इनमें वॉरटन एमबीए एग्जाम और अमेरिका में डॉक्टरी का लाइसेंस पाने के लिए जरूरी इम्तिहान शामिल थे।
ChatGPT सिर्फ 11 सवालों का सही जवाब देने में कामयाब रहा। इस तरह वह पूरी तरह फेल साबित हुआ। कई लोग इस बात से अचंभित हैं। कारण है कि दुनियाभर में चैटजीपीटी की तारीफों के पुल बांधे जा रहे हैं। एआई चैटबॉट को क्रांति बताया जा रहा है।
एग्जाम में चैटजीपीटी के फेल हो जाने के बाद दोबारा एक चर्चा शुरू हो गई है। सवाल उठने लगा है कि क्या सही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में इंसानी इंटेलिजेंस को पूरी तरह रिप्लेस करने की ताकत है। चैटजीपीटी ने कई जटिल प्रॉब्लम को सॉल्व करके सिर्फ एआई जगत में ही हलचल नहीं मचाई है। बल्कि बाहर भी इसकी चर्चा है। वैसे कई लोग प्लैटफॉर्म की सीमाओं पर भी बात कर रहे हैं।