नई दिल्ली: पड़ोसी पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई है। हालात इतने खराब हैं कि पेट्रोल की कीमतें 250 रुपये और डीजल का रेट 263 रुपये पर पहुंच गया है। पिछले दिनों बिजली संकट के चलते दो दिनों तक देश के अधिकांश शहरों में अंधेरा छाया रहा। जनता गुस्से में है और मुल्क दूसरे देशों के सामने हाथ फैला रहा है। इधर भारतीयों के लिए खुश होने की खबर है। जी हां, भारत तेजी से प्रगति के पथ पर अग्रसर है। रात में जगमगाते भारत की तस्वीर तरक्की के संकेत दे रही है। वास्तव में नाइट टाइम लाइट (NTL) यानी रात के समय सैटलाइट से तस्वीरें लेकर साइंटिस्ट इंसानी गतिविधियों के बारे में स्टडी करते आ रहे हैं। इससे विद्युतीकरण ही नहीं, प्रगति को भी समझा जाता है। अर्थशास्त्री इसे एक ग्रोथ इंडिकेटर के तौर पर मानते हैं। ऐसे में यह जान लीजिए कि रात के समय पिछले 10 वर्षों के दौरान भारत में 43 प्रतिशत ज्यादा लाइट बढ़ी है। इसरो के डेटा के मुताबिक बिहार, मणिपुर, लद्दाख और केरल में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है।
रात में रोशनी का तरक्की से कनेक्शन
आप इसे तस्वीरों से समझिए। बाईं तस्वीर साल 2012 की है और दाईं तस्वीर 2021 में रात के समय ली गई है। गौर से देखिए आपको 2021 वाली भारत की तस्वीर में रात के समय ज्यादा क्षेत्रों में और चटख रोशनी समझ में आएगी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि रात में ली गई सैटलाइट तस्वीर कैसे आर्थिक तरक्की और दूसरी चीजों के बारे में बताती है। इसमें कहा गया, ‘वास्तव में, अगर कभी एलियन्स अंधेरे से धरती के करीब आएंगे तो उन्हें वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में काफी दूर से ही पता चल जाएगा।’ IMF रिपोर्ट का इशारा जगमगाती रोशनी की तरफ है। इसका मतलब जहां ज्यादा रोशनी होगी, ज्यादा देर तक लाइटें जलती रहेंगी वहां आर्थिक तरक्की और ज्यादा संपन्नता मानी जाएगी।
ISRO के राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर की ओर से भारत को लेकर NTL एटलस (2012-2021) जारी किया गया है। इसमें बताया गया है कि 2012 की तुलना में राष्ट्रीय स्तर पर रात के समय रोशनी 43 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इस विश्लेषण के लिए NRSC ने नासा के डेटा का भी इस्तेमाल किया है। राज्यवार विश्लेषण से पता चलता है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना जैसे विकसित राज्यों में वृद्धि 55 प्रतिशत के नीचे रही है क्योंकि 2012 में भी स्थिति बेहतर थी। हालांकि कम विकसित राज्यों ने जबर्दस्त वृद्धि दर्ज की है।
474 प्रतिशत ज्यादा रोशन हुआ बिहार
इस स्टडी के तहत बिहार में 474%, मणिपुर में 441%, लद्दाख में 280% और केरल में 119% की वृद्धि देखी गई है जबकि अरुणाचल प्रदेश में 66%, मध्य प्रदेश में 66%, उत्तर प्रदेश में 61 प्रतिशत और गुजरात में 58 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। एटलस के मुताबिक लक्षद्वीप, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, झारखंड, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, कर्नाटक, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र, नगालैंड, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा, गोवा, छत्तीसगढ़, असम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मेघालय और जम्मू-कश्मीर में मामूली वृद्धि देखी गई है। छह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वृद्धि सामान्य है जबकि 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में वृद्धि 6 से 40 प्रतिशत के बीच रही है।
NRSC के निदेशक प्रकाश चौहान कहते हैं कि रात के समय रोशनी (NTL) कृत्रिम लाइट की तीव्रता को व्यक्त करती है जो विकास के विभिन्न पहलुओं से जुड़ी होती है। इन तस्वीरों और एनालिसिस का इस्तेमाल पर्यावरणीय बदलाव के साथ बिजली उपभोग, जीडीपी, आबादी, शहरी विस्तार, गरीबी जैसे सामाजिक-आर्थिक पैरामीटर्स को समझने के लिए भी किया जाता है। वैश्विक स्तर पर देखें तो न केवल IMF बल्कि विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और दूसरे संस्थान एवं संगठन भी सैटलाइट से ली गई इन तस्वीरों का विश्लेषण करते हैं जो कई तरह के सामाजिक-आर्थिक इंडिकेटर को बताता है।
उधर, विश्व बैंक की India Night Lights की कुछ दिन पहले अपडेट की गई रिपोर्ट के मुताबिक यह प्लेटफॉर्म 20 साल से भारत के 6 लाख से गावों में रात के समय रोशनी को रिकॉर्ड करता रहा। Defense Meteorological Satellite Program (DMSP) के तहत 1993 से 2013 तक रोज रात में पृथ्वी की तस्वीरें ली गईं। मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के साथ विश्व बैंक ने इन तस्वीरों का इस्तेमाल किया। समय के हिसाब से गांवों में लाइटों का मैप सामने आया। जिले स्तर के मैप में उन गावों को भी देखा गया जहां बाद में बिजली आई। इससे यह पता चला कि देश में कैसे-कैसे विद्युतीकरण बढ़ा।