प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाली में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान तीन प्रमुख सत्र में हिस्सा लेंगे। इनमें खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, डिजिटल परिवर्तन और स्वास्थ्य पर चर्चा होगी। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने रविवार को यह जानकारी दी। इसके अलावा प्रधानमंत्री बाली में 15 नवंबर को भारतीय समुदाय से भी मुखातिब होंगे। जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन 15-16 नवंबर को होना है।
क्वात्रा ने बताया कि प्रधानमंत्री शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए तीन दिवसीय यात्रा पर सोमवार को इंडोनेशियाई शहर बाली रवाना होंगे, जहां यूक्रेन संघर्ष और इसके प्रभावों सहित वैश्विक चुनौतियों पर व्यापक विचार-विमर्श होने की उम्मीद है। हालांकि, सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमीर पुतिन हिस्सा नहीं ले रहे हैं। क्वात्रा ने कहा कि मोदी और अन्य नेता अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, पर्यावरण, डिजिटल परिवर्तन जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे।
द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी
विदेश सचिव ने कहा कि मोदी जी-20 के कुछ नेताओं के साथ कई द्विपक्षीय
बैठकें भी करेंगे। इसकी प्रक्रिया को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के निमंत्रण पर
शिखर सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। इसी दौरान इंडोनेशिया औपचारिक रूप से
भारत को जी-20 की अध्यक्षता भी सौंपेगा। सम्मेलन के दौरान जी-20 के नेता
बाली के निकट एक मैंग्रोव फॉरेस्ट का भी दौरा करेंगे। बता दें कि हाल में
जलवायु वार्ता में एक मैंग्रोव एलायंस की घोषणा हुई है जिसमें भारत भी
शामिल हुआ है। क्वात्रा ने बताया कि हमारी जी-20 अध्यक्षता के दौरान, भारत,
इंडोनेशिया और ब्राजील एक तिकड़ी होंगे। यह पहली बार है कि इस तिकड़ी में
विकासशील देश और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं शामिल होंगी।
बड़े देशों का समूह
जी-20 या 20 देशों का समूह दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील
अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर सरकारी मंच है। समूह में अर्जेंटीना,
ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया,
इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका,
तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ (ईयू) शामिल हैं। जी-20
अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, जो वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद
(जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और
विश्व की लगभग दो-तिहाई आबादी का प्रतिनिधित्व करता है। भारत वर्तमान में
जी-20 ट्रोइका (जी-20 की वर्तमान, पिछली और आगामी अध्यक्षता) का हिस्सा है,
जिसमें इंडोनेशिया, इटली और भारत शामिल हैं।
यूक्रेन संकट समेत कई मुद्दे हावी रहेंगे
जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन तथा पश्चिमी देशों
के बीच तनाव के मुद्दे हावी रहने की संभावना है। ‘एक साथ उबरें, मजबूत होकर
उबरें’ की उम्मीद के साथ यह सम्मेलन मंगलवार को शुरू हो रहा है। रूसी
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जहां बैठक से दूर रहेंगे वहीं, अमेरिकी
राष्ट्रपति जो बाइडन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, ब्रिटेन के नए
प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी मुलाकात
करेंगे। शिखर सम्मेलन की स्वास्थ्य, स्थायी ऊर्जा और डिजिटल परिवर्तन की
आधिकारिक प्राथमिकताएं, यूक्रेन में जारी युद्ध के कारण भू-राजनीतिक तनाव
से प्रभावित होने की आशंका है। लगभग नौ महीने से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध ने
तेल, प्राकृतिक गैस और अनाज के व्यापार को बाधित कर दिया है, जिसके चलते
शिखर सम्मेलन का ध्यान व्यापक रूप से खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा की ओर चला गया
है।
इस बीच, अमेरिका के अलावा यूरोप और एशिया में सहयोगी देश, चीन के खिलाफ तेजी से एकजुट हो रहे हैं, जिससे भारत, ब्राजील और मेजबान देश इंडोनेशिया जैसी उभरती जी-20 अर्थव्यवस्थाएं संतुलित रुख अपना रही हैं। यूक्रेन जी-20 का हिस्सा नहीं है। हालांकि, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के न्योते पर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ऑनलाइन माध्यम से बैठक में हिस्सा ले सकते हैं।