कांकेर के भानुप्रतापपुर विधानसभा उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को मतदान होना है। चुनाव कराने के लिए रविवार सुबह से मतदान दलों की रवानगी शुरू हुई। आज सुबह 7 बजे से पोलिंग पार्टियों को सामग्री का वितरण शुरू हुआ।
भानुप्रतापपुर उपचुनाव में 256 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें 1100 से अधिक कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। 256 में से 82 मतदान केंद्र संवेदनशील के दायरे में है, जबकि 17 मतदान केंद्र अतिसंवेदनशील के अंतर्गत आते हैं। इसे देखते हुए पुलिस और सुरक्षाबल के जवानों को बड़ी संख्या में तैनात किया गया है। मतदान के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे। भानुप्रतापपुर विधानसभा में 1 लाख 95 हजार 822 मतदाता हैं, जिसमें महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है।
चप्पे-चप्पे पर जवानों की तैनाती
कांकेर एसपी शलभ सिन्हा ने बताया कि उपचुनाव को शांतिपूर्ण तरीके से कराने के लिए सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था की गई है। भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र के कई इलाके नक्सल प्रभावित हैं, जिसे देखते हुए पुलिस अलर्ट है। वहीं उप निर्वाचन अधिकारी धनंजय नेताम ने बताया कि चुनाव की सारी तैयारी पूरी कर ली गई है। उपचुनाव में 5 संगवारी मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है, वही एक दिव्यांग मतदान केंद्र भी बनाया गया है।
कांग्रेस से सावित्री मंडावी हैं प्रत्याशी
कांग्रेस ने दिवंगत मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी को उपचुनाव में प्रत्याशी बनाया है। जिन गांवों और गलियों में कभी उनके पति मनोज मंडावी की जय-जयकार लगा करती थी, आज वहां सावित्री मंडावी का नाम है। लोग सावित्री चाची कहकर उन्हें संबोधित करते हैं। कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि लोगों की सहानुभूति वोटों में जरूर तब्दील होगी। मनोज मंडावी के निधन का दुख अब भी सावित्री मंडावी के चेहरे पर दिखता है। मगर सियासी जिम्मेदारी को निभाने में भी वो पीछे नहीं हट रहीं। उन्होंने बताया ये मेरे लिए दुख की घड़ी है। मगर जहां जा रही हूं लोगों का प्यार मिल रहा है। ये देखकर खुशी होती है। क्षेत्र की जनता चाहती थी कि ये चुनाव मैं लडूं, इस वजह से मैं सियासी मैदान में हूं। उनकी आशाओं को पूरा करना मेरी जिम्मेदारी रहेगी।
शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देना था उनका सपना
भाजपा से प्रत्याशी हैं ब्रह्मानंद नेताम
भानुप्रतापपुर से ब्रह्मानंद नेताम बीजपी प्रत्याशी हैं। नेताम को पार्टी ने फिर से टिकट दिया है। ब्रह्मानंद नेताम भानुप्रतापपुर से साल 2008 में विधायक रह चुके हैं। मनोज मंडावी को एक बार हरा चुके हैं। आदिवासी संगठनों में इनकी पैठ अच्छी मानी जाती है। इस बार भाजपा आदिवासी आरक्षण के मुद्दे के साथ चुनाव में है। नेताम की समाज में पैठ का फायदा भाजपा को मिल सकता है, लेकिन उन पर नाबालिग लड़की से गैंगरेप और उसे देह व्यापार में धकेलने का आरोप है, ये बात बीजेपी के खिलाफ जा रही है। इसका नुकसान उसे उठाना पड़ सकता है।
प्रदेश में चार सालों में पांचवीं बार हो रहा है उपचुनाव
छत्तीसगढ़ के 22 सालों में अब तक 13 बार उपचुनाव हो चुके हैं। अब तक सबसे अधिक चार उपचुनाव 2008-13 के दौर में हुए। उस समय देवव्रत सिंह के सांसद बन जाने से खाली खैरागढ़ सीट पर उपचुनाव हुए। केशकाल में महेश बघेल, भटगांव में रविशंकर त्रिपाठी और संजारी बालोद में मदनलाल साहू के निधन के बाद उप चुनाव की नौबत आई। 2018 से 2023 के पहले चार सालों में चार उपचुनाव पहले ही हाे चुके हैं। पहला उपचुनाव दंतेवाड़ा से भाजपा विधायक भीमा मंडावी की हत्या के बाद कराया गया। दीपक बैज के सांसद चुन लिए जाने पर चित्रकोट में नया विधायक चुना गया। अजीत जोगी के निधन से खाली मरवाही विधानसभा और देवव्रत सिंह के निधन से खाली खैरागढ़ में उपचुनाव हुआ है। पिछले चार सालों में यह पांचवां उपचुनाव होगा। इस लिहाज से यह भी अपने आप में रिकॉर्ड है।