देहरादूनः उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग हादसे की जांच रिपोर्ट सामने आ गई है। प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में हादसे के लिए कई वजहें बताई गई हैं। इसमें शीयर जोन के हिसाब से परियोजना का गलत अलाइनमेंट करना तथा हादसों की पिछली घटनाओं से सबक लिए बिना पर्याप्त सुरक्षा उपायों की कमी के साथ प्रोजेक्ट की री-प्रोफाइलिंग करना शामिल है। इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया गया है कि ठेकेदार को एनएचआईडीसीएल द्वारा नियुक्त प्राधिकारी इंजीनियर की ओर से काम करने की पद्धति की मंजूरी नहीं मिली थी।
एक्सपर्ट्स के एक पैनल ने शुक्रवार को सड़क परिवहन मंत्रालय को यह जांच रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में सेंसर और उपकरणों की कमी की ओर भी इशारा किया गया है, जो री-प्रोफाइलिंग काम के दौरान जमीनी व्यवहार को पकड़ते हैं, ताकि जरूरी सावधानी बरती जा सके। इस हादसे ने राष्ट्रीय राजमार्ग और बुनियादी ढांचा विकास निगम (एनएचआईडीसीएल) के अधिकारियों और इसके इंजीनियरों की ओर से आवश्यक सुपरविजन में कमी को भी उजागर किया है।
क्या होता है शियर जोन
शियर जोन रीजनल स्ट्रेस के कारण काफी विकृत, कमजोर और पतली चट्टानों के बारे में बताता है। ऐसे इलाकों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। साथ ही जमीनी व्यवहार की अधिक निगरानी और किसी भी दुर्घटना से बचने के लिए ज्यादा सतर्कता की आवश्यकता होती है। सुरंग प्रोजेक्ट्स में फाइनल लाइनिंग से पहले कैविटीज और किसी भी तरह की विकृति जैसी विसंगतियों की मरम्मत के लिए री-प्रोफाइलिंग की जाती है। सिलक्यारा टनल के मामले में, री-प्रोफाइलिंग की जरूरत थी क्योंकि खुदाई के तुरंत बाद यहां प्रॉपर सपोर्ट सिस्टम प्रदान नहीं किया गया था।
पहले हो जाते सतर्क तो न होता हादसा
सूत्रों ने बताया कि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सुरंग की खुदाई के दौरान पहले ही दो बार कैविटीज मिली थीं। इसका मतलब था कि ठेकेदार को काम करते समय अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि अंतिम हादसे से पहले सुरंग बनाने के दौरान 21 कैविटीज मिली थीं। ऐसे में एनएचआईडीसीएल को काम की कड़ी निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिए थी। रिपोर्ट में भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं से बचने के लिए रास्ता भी सुझाया गया है। इसमें सड़क और रेलवे के लिए एक सुरंग केंद्र स्थापित करने की बात कही गई है।
रिपोर्ट ने दिया सुझाव
इसके अलावा सुरंग सुरक्षा के लिए एक नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित करने और विशेष रूप से हिमालय क्षेत्र में परियोजनाओं की बेहतर योजना और निष्पादन के लिए गति शक्ति मंच पर एक भूवैज्ञानिक सहयोगात्मक ढांचे की आवश्यकता की सिफारिश की गई है। सीमा सड़क संगठन, रेलवे के अधिकारियों और दो प्रोफेसरों वाला पैनल विस्तृत परियोजना रिपोर्ट, परियोजना ठेकेदार द्वारा प्रस्तुत डिजाइन रिपोर्ट और भूवैज्ञानिक मानचित्रण की समीक्षा करने के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।