*लोक सूचना अधिकारी/ वन क्षेत्राधिकारी हैदरगढ़ राकेश कुमार तिवारी की लापरवाही से त्रस्त शिकायतकर्ता ने ठोकी अपील* — *कठोर कार्रवाई की गई माँग*
फोटो शिकायत कर्ता
सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी में अधूरी, असत्यापित एवं भ्रामक सूचना दिए जाने से आक्रोशित महेन्द्र प्रताप सिंह ने राज्य सूचना आयोग में लोक सूचना अधिकारी राकेश कुमार तिवारी के खिलाफ द्वितीय अपील दायर कर दी है। उन्होंने दोषी अधिकारी पर आर्थिक दंड लगाने और अनुशासनात्मक कार्यवाही की मांग की है।
महेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्होंने सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत दिनांक 14-11-2024 को वन क्षेत्राधिकारी हैदरगढ़ राकेश कुमार तिवारी से सूचना मांगी थी। नियमानुसार 30 दिनों के भीतर सूचना उपलब्ध कराई जानी थी, लेकिन न तो उन्हें समय पर जानकारी दी गई और न ही उचित जवाब मिला। इसके बाद उन्होंने नियमानुसार दिनांक-27-12-2024 को प्रथम अपील दायर की, लेकिन विभाग ने जो सूचना उपलब्ध कराई, वह न केवल अधूरी थी, बल्कि तथ्यों को छुपाकर असत्यापित, भ्रामक और गुमराह करने वाली भी थी।
*शिकायतकर्ता महेंद्र सिंह ने संबंधित लोक सूचना अधिकारी पर सूचना छिपाने का गंभीर आरोप लगाया है*
श्री सिंह ने आरोप लगाया कि लोक सूचना अधिकारी राकेश कुमार तिवारी ने जानबूझकर सूचना का खुलासा नहीं किया और असत्यापित अधूरी जानकारी देकर अपने दायित्वों का घोर उल्लंघन किया। उन्होंने इसे सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन बताया।
*संबंधित लोक सूचना अधिकारी के द्वारा असत्यापित और भ्रामक अधूरी दी गई सूचना को लेकर महेन्द्र सिंह ने राज्य सूचना आयोग से कड़ी कार्रवाई की माँग की है*
अपनी द्वितीय अपील में श्री सिंह ने राज्य सूचना आयोग से मांग की है कि दोषी लोक सूचना अधिकारी पर आरटीआई अधिनियम की धारा 20(1) के तहत ₹25,000 का आर्थिक दंड लगाया जाए। साथ ही, धारा 20(2) के तहत उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही सुनिश्चित करने की भी अपील की गई है।
*यह पूरा मामला नागरिक अधिकारों के हनन का है*
श्री सिंह ने कहा कि सूचना छुपाने का यह कृत्य आम जनता के सूचना के अधिकार का खुला उल्लंघन है। यदि ऐसे गैर-जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो नागरिकों के अधिकारों का हनन होता रहेगा।
*अब आयोग की ओर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं*
इस मामले को लेकर क्षेत्र में चर्चा का माहौल है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि आयोग इस प्रकरण में सख्त निर्णय लेता है तो इससे अन्य सरकारी अधिकारियों को भी अपने कर्तव्यों के प्रति सतर्क रहने का संदेश मिलेगा।
अब देखना होगा कि राज्य सूचना आयोग इस गंभीर मामले में क्या कदम उठाता है।





