चंडीगढ़। पंजाब सरकार और राज्यपाल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब के राज्यपाल को फटकार लगाए जाने पर आम आदमी पार्टी ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी ने इस फैसले के लिए सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद किया और कहा कि यह फैसला देश के संविधान व लोकतंत्र को मजबूत बनाने वाला है।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने कहा कि पंजाब के तीन करोड़ लोगों ने राज्य के कामकाज से संबंधित फैसले लेने के लिए मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार को चुना है, राज्यपाल को नहीं। उन्होंने कहा कि देश का संविधान जनता द्वारा चुने हुए लोगों को फैसले लेने का अधिकार देता है। राज्यपाल के पास इस मामले में बेहद सीमित अधिकार हैं। यह बात उच्चतम न्यायालय ने भी कही है।
लंबित बिलों से पंजाब को हुआ नुकसान- AAP
उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा सत्र को गैर कानूनी बताना और लम्बे समय तक विधानसभा से पास विधेयकों को रोके रखने के कारण पंजाब को काफी नुकसान हुआ है। यह तरीका लोकतंत्र के लिए सही नहीं है। कंग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 200 के अनुसार, राज्यपाल सदन से पास हुए बिलों पर या तो अपनी सहमति दे सकते हैं या उसे विधानसभा स्पीकर के पास वापस भेज सकते हैं या उसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित रख सकते हैं। विधेयकों के मामले में राज्यपाल के पास इसके अलावा और कोई विकल्प ही नहीं है।
कंग ने राज्यपाल से अपील करते हुए कहा कि अपने केंद्रीय नेतृत्व को खुश करने के लिए संविधान से बाहर जाकर कोई काम न करें। लोकतांत्रिक व्यवस्था को बचाए रखें और संविधानिक मर्यादा का पालन करें।
टाला जा सकता था विवाद- जाखड़
वहीं, इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने कहा कि राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित और मुख्यमंत्री भगवंत मान के बीच के विवाद को टाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की राजनीति का यह हिस्स है कि वह खुद को पीड़ित बताए। पहले मुख्यमंत्री की तरफ से राज्यपाल को उकसाने की कोशिश की गई। इसकी शुरूआत भी तब हुई जब राज्यपाल ने सामने आकर सरकार के सवालों का जवाब देना शुरू किया।