रायपुर । कर्नाटक चुनाव हारने के बाद लोग इसे मोदी की शोहरत से जोडक़र देख रहे हैं कि क्या अब उनका जादू फीका पड़ रहा है?
लेकिन ऐसा नहीं है, मोदी दो बार प्रधानमंत्री तो शानदार बहुमत से बने, लेकिन राज्यों के चुनाव में वे जगह-जगह हारते आए हैं, और कई जगहों पर तो उनकी पार्टी ने दलबदल करवाकर, या अपने से छोटी पार्टी का मुख्यमंत्री बनवाकर काम चलाया है।
महाराष्ट्र जैसे प्रदेश भी हैं जहां भाजपा गठबंधन में शिवसेना के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन फिर अपने इस सबसे पुराने साथी को भी खो बैठी, और सरकार भी खो बैठी।
देश के नक्शे पर अभी भाजपा का भगवा रंग कुछ घटा है, और आने वाले चुनाव पता नहीं इस नक्शे को किस तरह तब्दील करेंगे।
मोदी के करिश्मे और जादू के दो अलग-अलग नजारे देखने मिलते हैं, लोकसभा चुनावों में अलग, और राज्यसभा में अलग।
इस अखबार ‘छत्तीसगढ़’ के संपादक सुनील कुमार को न्यूजरूम से सुनें।