नई दिल्ली: अमेरिकी रिसर्च फर्म ने अडानी समूह को लेकर अपनी रिपोर्ट दी, जिसके बाद से लगातार विवाद बढ़ता रहा। मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने छह सदस्यीय कमेटी बनाकर जांच के आदेश दिए। बाजार नियामक सेबी को दो मीने के भीतर चांज रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। अब पूर्व आअरबीआई गवनर्र रघुराम राजन ने सवाल किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अडानी समूह से जुड़े मामले में चल रही जांच पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने अडानी मामले में मार्केट रेग्युलेटर SEBI के तौर-तरीकों को कठघरे में खड़ा किया है। उन्होंने सेबी पर कई सवाल उठाए हैं।
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अडाणी समूह से जुड़े मामले में बाजार नियामक सेबी पर अभी तक मॉरीशस स्थित संदिग्ध फर्मों के स्वामित्व के बारे में कोई पड़ताल नहीं करने पर सवाल खड़े किए हैं। राजन के मुताबिक, मॉरीशस स्थित इन चार फंडों के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपने 6.9 अरब डालर कोष का करीब 90 प्रतिशत अडानी समूह के शेयरों में ही लगाया हुआ है। इस मामले में कोई जांच नहीं किए जाने पर उन्होंने सवाल किया कि क्या सेबी को इसके लिए भी जांच एजेंसियों की मदद की जरूरत है?
राजन ने पीटीआई-भाषा के साथ ईमेल साक्षात्कार के दौरान भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के रुख पर सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा, "मुद्दा सरकार और कारोबार जगत के बीच गैर-पारदर्शी संबंधों को कम करने का है, और वास्तव में नियामकों को अपना काम करने देने का है। सेबी अभी तक मॉरीशस के उन कोषों के स्वामित्व तक क्यों नहीं पहुंच पाई है, जो अडाणी के शेयरों में कारोबार कर रहे हैं? क्या उसे इसके लिए जांच एजेंसियों की मदद की जरूरत है?" इन निवेश कोष के मॉरीशस में पंजीकृत होने से उनकी स्वामित्व संरचना पारदर्शी नहीं है। मॉरीशस उन देशों में शामिल है जहां पर व्यवसाय कर नहीं लगता है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट आई है। इस दौरान इन कंपनियों का बाजार पूंजीकरण आधा हो चुका है।