चंदखुरी में स्थित माता कौशल्या के मंदिर का नारियल लेने से प्रदेश के मंत्री रविंद्र चौबे ने इनकार कर दिया । नारियल लेकर पहुंचे संविदा कर्मचारियों को मंत्री ने अपने बंगले से लौटा दिया, कह दिया कि समय लेकर मंत्रालय आना।
मंत्री से मिलने सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी संगठन के लोग पहुंचे हुए थे यह सभी अलग-अलग विभागों में संविदा पर काम कर रहे हैं। लंबे वक्त से कर्मचारी नियमितीकरण की मांग को लेकर आंदोलनरत थे मंत्री से मुलाकात कर नियमितीकरण की गुहार लगाना चाह रहे थे मगर मंत्री रविंद्र चौबे ने इन्हें बंगले से ही चलता कर दिया।
देना चाहते थे मनोकामना नारियल
कर्मचारियों के संगठन से जुड़े हेमंत सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले दिनों चंदखुरी तक कर्मचारी पैदल यात्रा निकालकर पहुंचे थे । माता कौशल्या के दरबार में मत्था टेककर नियमितीकरण की मनोकामना मांगी थी । हजारों दीपक जलाए थे वही मनोकामना नारियल हम मंत्री को भेंट करना चाहते थे।
उनसे मिलकर अपनी समस्या साझा करना चाहते थे मगर उन्होंने नारियल लेने से इनकार कर दिया और कह दिया कि मंत्रालय आकर मिलना। इसके पहले भी जब हम रविंद्र चौबे से मिलने उनके बंगले पहुंचे थे उन्होंने ऐसा ही कह कर हमें लौटा दिया था। जब हम मंत्रालय पहुंचे समय लेकर उनसे मिलने वाले थे तो अपॉइंटमेंट दिए जाने के बाद मंत्री से मुलाकात नहीं हुई। उनके अधीनस्थ कर्मचारियों ने कह दिया कि मंत्री के पास मिलने का समय नहीं है और हमें मंत्रालय से भी लौटा दिया गया। अब हमारे साथ यही हो रहा है हम मंत्री के बंगले जाते हैं तो वह मंत्रालय आने को कहते हैं और मंत्रालय जाते हैं तो वहां पर भी मंत्री नहीं मिलते।
ओडिशा-राजस्थान में हो चुका है नियमितीकरण
जनता कांग्रेस के प्रमुख अमित जोगी ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को चिट्ठी लिखकर प्रदेश के अनियमित कर्मचारियों को नियमित करने की मांग की थी इस बारे में जानकारी देते हुए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रवक्ता भगवानू नायक ने कहा, ओडिशा सरकार ने लगभग 57 हजार अनियमित और संविदा कर्मचारियों को नियमित कर दीपावली का उपहार दिया है। राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने भी लगभग 1 एक लाख 10 हजार अनियमित कर्मचारियों को नियमित कर दिया है। छत्तीसगढ़ को इन दोनों राज्यों का अनुसरण करना चाहिए।
नियमितीकरण हुआ तो खर्च होंगे 800 करोड़
सूत्रों के मुताबिक अगर प्रदेश के करीब 45 हजार कर्मचारियों को नियमित किया गया तो शासन पर 700-800 करोड़ रुपए साल का भार आने वाला है। सुगबुगाहट है कि नियमितीकरण जल्द लागू किया जा सकता है। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में अनियमित और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था। जनवरी-फरवरी (चुनावी साल) में इसकी घोषणा की जा सकती है। राजस्थान सरकार ने 21 अक्टूबर को आदेश जारी कर 30 हजार संविदाकर्मियों को नियमित कर दिया। इनमें पंचायत सहायक, शिक्षाकर्मी और पारा शिक्षक के पद शामिल हैं। इस वजह से प्रदेश के कर्मचारियों की उम्मीद और बढ़ गई है।
कांग्रेस ने किया था वादा
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणापत्र में अनियमित और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था। सूत्रों के मुताबिक इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार इस साल दिसंबर तक सारी प्रक्रिया पूरी कर लेगी और जनवरी-फरवरी (चुनावी साल) में इसकी घोषणा की जा सकती है। हालांकि आला अफसर अभी इस मामले में खामोश हैं। भास्कर ने वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग के आला अफसरों से बात की, लेकिन किसी ने इस मामले में टिप्पणी से मना किया। हालांकि यह जरूरी कहा कि संविदा और अनियमित कर्मचारियों की जानकारी मांगी गई है।
राजस्थान ने हाल में किया
राजस्थान सरकार ने 21 अक्टूबर को आदेश जारी कर 30 हजार संविदाकर्मियों को नियमित कर दिया। इनमें पंचायत सहायक, शिक्षाकर्मी और पाराशिक्षक के पद शामिल हैं। तीनों को अब शुरुआत में 10,400 रुपए वेतन मिलेगा। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी कांग्रेस ने चुनावी घोषणा-पत्र में संविदाकर्मियों को नियमित करने का वादा किया था। अशोक गहलोत सरकार ने दिवाली के पहले यह सौगात दी है।