अंबाला। आरटीआइ से मिले एक जवाब ने अंबाला कैंट में अफसरों की मनमानी को खोल दिया है। आरटीआइ के तहत अंबाला कैंट में रजिस्ट्री बंद के आदेशों को लेकर जानकारी ओंकार सिंह ने मांगी थी। इस पर राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जो जवाब मिला उससे साफ हो गया कि करीब दो साल से अफसर रजिस्ट्री के मामले में मनमानी कर रहे हैं। जवाब में लिखा है कि इस विभाग द्वारा अंबाला छावनी में एक्साइज्ड एरिया की रजिस्ट्री बंद करने बारे कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। अब इसी को लेकर नागरिक मंच ने अपनी तैयारी की है।
अंबाला कैंट में करीब दो साल से रजिस्ट्रियां बंद की गई हैं
मंच का कहना है कि यह जवाब मिलने के बाद अब तहसील में रजिस्ट्री करवाने जाएंगे और यदि यह नहीं की जाती, तो हाईकोर्ट का रुख करेंगे। इस संबंध में नागरिक मंच के चेयरमैन एवं इनेलो प्रदेश प्रवक्ता ओंकार सिंह ने आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी थी। बता दें कि अंबाला कैंट में करीब दो साल से रजिस्ट्रियां बंद की गई हैं।
इसी कारण से लोग अपनी प्रापर्टी के मालिक तक नहीं बन पा रहे हैं। रजिस्ट्री को लेकर लगातार अफसर इनकार करते रहे हैं, जिससे आम जनता की परेशानियां बढ़ गई हैं। खासकर एक्साइज्ड एरिया में तो पूरी तरह से रजिस्ट्री बंद कर दी गई हैं। इस संबंध में सूचना के तहत जानकारी मांगी, लेकिन यह नहीं मिली। इसके बाद प्रथम अपील उक्त विभाग में लगाई गई, जिसकी सुनवाई 3 अक्टूबर को हुई।
नागरिक मंच ने खोला मोर्चा
इस में सुनवाई के बाद जानकारी मिली कि इस विभाग द्वारा अंबाला छावनी में एक्साइज्ड एरिया की रजिस्ट्री बंद करने बारे कोई आदेश जारी नहीं किए गए हैं। नागरिक मंच का कहना है कि यह जवाब मिलने से साफ हो गया कि रजिस्ट्री बंद करने के कोई आदेश नहीं हैं, जबकि यह अफसरों की मनमानी है, जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है।
अब इसी को लेकर मंच अपनी आगामी तैयारी कर रहा है। इस मौके पर नागरिक मंच के प्रधान ओंकार नाथ परुथी सहित बाबू कनौजिया, नवीन यादव, रिया रतरा, महेश गोयल, संजय राठी, मेहर सिंह जाट, हर्ष रतरा, विकास भटेजा, कुलबीर सिंह व अशोक धवन उपस्थित रहे।
साल 2000 में 13 कॉलजोनियां वैध की थीं अंबाला
नागरिक मंच के प्रधान ओंकार नाथ परुथी व चेयरमैन ओंकार सिंह ने कहा कि आरटीआइ से मिली जानकारी में स्पष्ट हो गया है कि अंबाला कैंट में रजिस्ट्री बंद नहीं हैं। उन्होंने बताया कि साल 2000 में तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री ने अंबाला छावनी में अवैध रूप से बसी हुई 13 कालोनियां जिसमें बाजीगर कॉलोनी, मूड़ा मंडी, गुजराती कॉलोनी, 4 नंबर, 6 नंबर, डेरा बस्ती,डेहा कालोनी आदि शामिल हैं और रेलवे रोड, रंधावा मार्केट को फ्री होल्ड किया गया था। इस सरकार द्वारा नोटिफिकेशन के जारी होने के बावजूद भी अंबाला छावनी सदरक्षेत्र को फ्री होल्ड क्यों नहीं किया गया।
ये की गई मांग
छावनी में ओल्ड ग्रांट, सामान्य लीज, गवर्नमेंट अलाटमेंट, स्थायी लीज,कृषि भूमि, किराए वाली और सदर छेत्र से बाहर मलकियत वाली जमीनें हैं। हरियाणा व केंद्र दोनों में भाजपा सरकार है तो फिर फ्रीहोल्ड करने मे परेशानी क्या है। अंबाला छावनी की जनता से वायदा तो फ्री होल्ड करने का किया गया था लेकिन फ्री होल्ड तो क्या करना रजिस्ट्री ही बंद कर दी गई। नागरिक मंच के सभी सदस्य अंबाला छावनी को फ्रीहोल्ड करवाने का हरसंभव प्रयास करेंगे ताकि अंबाला छावनी की जनता को राहत मिल सके।