नई दिल्ली: अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों में आजकल कोहराम मचा हुआ है। 24 जनवरी को आई एक रिपोर्ट के बाद ग्रुप का मार्केट कैप 120 अरब डॉलर कम हो चुका है। कई शेयर 52 हफ्ते के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गए हैं। ग्रुप को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है। पहले जहां वह आक्रामक तरीके से अपना विस्तार कर रहा था, वहीं अब उसका फोकस अपनी फाइनेंशियल कंडीशन को दुरुस्त करने पर है। इन मुसीबतों के बीच इंडेक्स प्रोवाइडर MSCI ने अडानी ग्रुप को राहत दी है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक MSCI ने ग्रुप की दो कंपनियों अडानी टोटल गैस (Adani Total Gas) और अडानी ट्रांसमिशन (Adani Transmission) के वेटेज में कटौती के फैसले को फिलहाल टाल दिया है। पहले इसे एक मार्च से लागू होना था लेकिन अब इसे मई तक के लिए टाल दिया गया है।
MSCI ने क्यों किया ऐसा
अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म Hindenburg Research की एक रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि अडानी ग्रुप ने इन आरोपों का खंडन किया है। लेकिन इस रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप की कंपनियों में भारी गिरावट आई है। इसके बाद MSCI ने अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी टोटल गैस, अडानी ट्रांसमिशन और एसीसी (ACC) के फ्री फ्लोट स्टेटस को कम कर दिया था। MSCI के एमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्स में इन चार कंपनियों का कंबाइंड वेटेज 0.4 परसेंट था। फ्री फ्लोट किसी भी सिक्योरिटी का वह हिस्सा होता है जो इंटरनेशनल इनवेस्टर्स के लिए खरीद फरोख्त के लिए उपलब्ध होता है।
MSCI ने कहा था कि कुछ मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने अडानी ग्रुप के शेयरों को कुछ इंडेक्सेज में शामिल किए जाने के औचित्य पर सवाल उठाए हैं और उनके फ्री फ्लोट स्टेटस की समीक्षा की जाएगी। अडानी ग्रुप की आठ कंपनियां MSCI इंडेक्स में शामिल हैं। अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पोर्ट्स, अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन, अडानी ट्रांसमिशन, अडानी पावर, अंबूजा और एसीसी MSCI India इंडेक्स का हिस्सा हैं। किसी भी लिस्टेड कंपनी के लिए यह सुनिश्चित करना होता है कि उसकी कम से कम 25 फीसदी शेयरहोल्डिंग पब्लिक के पास होनी चाहिए।