नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी और युद्ध के कारण यूक्रेन, चीन और फिलीपीन से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों को भारत के किसी भी मेडिकल कॉलेज में पंजीकरण के बिना राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) के मौजूदा पाठ्यक्रम और दिशानिर्देश के अनुसार एमबीबीएस अंतिम परीक्षा दो प्रयासों में उत्तीर्ण करने की मंगलवार को अनुमति दे दी। जस्टिस बी आर गवई और न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की पीठ ने एक बार के उपाय के तौर पर उन्हें केवल एक प्रयास की अनुमति देने के केंद्र के सुझाव को संशोधित किया और मेडिकल छात्रों की सभी याचिकाओं का निस्तारण कर दिया।
एमबीबीएस की अंतिम परीक्षा देने की अनुमति
केंद्र ने एक विशेषज्ञ समिति की एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें कहा गया है कि एक बार के असाधारण उपाय के तौर पर अंतिम वर्ष के छात्रों को एमबीबीएस की अंतिम परीक्षा देने की अनुमति दी जानी चाहिए। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि अदालत के निर्देश के मद्देनजर इस मुद्दे पर सरकार द्वारा एक समिति का गठन किया गया था। अदालत ने कहा कि वह कोई विशेषज्ञ नहीं है और काफी हद तक समिति द्वारा की गई सिफारिश को स्वीकार किया।
महामारी के कारण भारत लौटना पड़ा
हालांकि साथ ही यह भी कहा कि एकमात्र चिंता वाली सिफारिश यह है कि छात्रों को एमबीबीएस परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए केवल एक प्रयास दिया जाना था और इसलिए इसे संशोधित किया। खंडपीठ ने कहा कि वह विशेष परिस्थितियों को देखते हुए आदेश पारित कर रही है। शीर्ष अदालत उन मेडिकल छात्रों की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिन्होंने अपने-अपने विदेशी विश्वविद्यालयों में सात सेमेस्टर पूरे कर लिये थे और उन्हें महामारी के कारण भारत लौटना पड़ा और ऑनलाइन तरीके से अपना स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम पूरा किया।
याचिकाओं में मुख्य रूप से विभिन्न मेडिकल कॉलेज/विश्वविद्यालयों के पहले से चौथे वर्ष के ऐसे स्नातक छात्रों को भारत के मेडिकल कॉलेज में समायोजित करने एवं अन्य अनुरोध किया गया था।