बोरवेल को खुला छोड़ने पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रदेश में 5 साल में 4 बच्चे बोर में गिरे, जिन्हें निकालने में 34 लाख खर्च हुए। नियम है कि बोर मालिक से रेस्क्यू की राशि की वसूली और केस दर्ज होना चाहिए लेकिन हुआ इसका उल्टा। चार में से दो मामलों में बोर मालिक पर केस दर्ज नहीं किया। बोर से बच्चों को निकालने में हुए खर्च की राशि किसी से वसूल नहीं की गई।
बैतूल के मांडवी में 8 साल के बालक के बोर में गिरने के बाद भास्कर ने पुराने मामलों की पड़ताल की तो यह तथ्य सामने आए। 12 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी घटनाएं रोकने के लिए गाइडलाइन जारी की थी लेकिन प्रशासन ने इस पर अमल नहीं किया। नतीजा यह रहा कि 4 में से 2 बच्चों को बोर से जिंदा बाहर नहीं निकाल सके।
4 मामले, जिनमें आधी-अधूरी कार्रवाई, इसलिए अब भी खुले पड़े हैं कई बोर
10 मार्च 2018
खर्च
वसूली नहीं की, 2 साल की सजा हुई: देवास के खातेगांव में 4 साल का रोशन
बोर में गिरा। 34 घंटे बाद उसे सुरक्षित बाहर निकाला। बोर किसान हीरालाल
जाट का था। बच्चे को निकालने में 10 लाख का खर्च आया, जो बोर मालिक से नहीं
वसूला। हालांकि हीरालाल पर केस दर्ज किया। कोर्ट ने उसे 2 साल की सजा
सुनाई।
4 नवंबर 2020
12
लाख खर्च, पैसा समाजसेवियों ने दिया : निवाड़ी जिले के सैतपुरा में 4 साल
का प्रहलाद बोर में गिरा, उसकी मौत हो गई। बोर पिता हरकिशन कुशवाहा का था।
शव को निकालने में 12 लाख खर्च हुए, जो समाजसेवियों ने दिए। कलेक्टर तरुण
भटनागर ने बताया बोरवेल बच्चे के पिता का था इसलिए कार्रवाई नहीं हुई।
28 फरवरी 2022
न
खर्च वसूला और न पुलिस केस दर्ज किया : दमोह जिले के बरखेरा में 3 साल का
प्रिंस बोर में गिरा। उसे जिंदा नहीं निकाला जा सका। यह बोर प्रिंस के पिता
का ही था। इस रेस्क्यू में 10 लाख रुपए का खर्च आया लेकिन कुंडलपुर
महोत्सव से सभी संसाधन जुटा लिए, इसलिए खर्च वसूली नहीं की। बोर मालिक पर
भी कोई केस दर्ज नहीं हुआ।
29 जून 2022
दादा-पिता
पर केस लेकिन वसूली नहीं: छतरपुर जिले के नारायणपुरा में 4 साल का अखिलेश
बोर में गिरा। सेना के जवानों ने रस्सी डालकर बच्चे को निकाला। रेस्क्यू पर
ढाई लाख खर्च हुए, जो किसी से नहीं वसूले गए। बच्चे के दादा ही बोर मालिक
थे, इसलिए दादा और पिता पर एफआईआर दर्ज की है। कोर्ट में केस चल रहा है।
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन- पालन होता तो बच जाती बच्चों की जान
1. सरपंच, कृषि विभाग के अफसर माॅनिटरिंग करें और खुले बोर बंद कराएं। 2. कलेक्टर और ग्राम पंचायत को लिखित सूचना के बाद बोरवेल खोदे जाएं। 3. बोरवेल खुदाई वाले स्थानों पर साइन बोर्ड लगाए जाएं। 4. बोरवेल, कुएं की तार फेंसिंग की जाए। 5. बोरवेल के पाइप के चारों ओर 0.30 मीटर ऊंचा प्लेटफार्म बनाया जाए। 6. बोर के मुहाने पर स्टील की प्लेट वेल्ड की जाए या नट-बोल्ट से कसा जाए। 7. सूखा बोर खुला न छोड़ा जाए, उसे स्थायी रूप से बंद किया जाए।