कोरबा जिले के SECL मानिकपुर खदान में गुरुवार को उस वक्त बवाल मच गया, जब भारी संख्या में भू-विस्थापित ठेका कंपनी के कैंप पहुंचे। उन्होंने प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए पड़ोसी राज्य से आए मजदूरों को कैंप से बाहर निकाल दिया। पुलिस की समझाइश पर भू-विस्थापित शांत हुए और वे चर्चा के लिए मानिकपुर चौकी पहुंचे।
SECL प्रबंधन ने दादर खुर्द, ढेलवाडीह, भिलाई खुर्द सहित आसपास के 6 गांवों की जमीन को मानिकपुर खदान के लिए अधिग्रहित किया है। प्रभावित क्षेत्र के बेरोजगार युवक लंबे समय से रोजगार की मांग करते आ रहे हैं। उन्होंने बीते दिनों रोजगार की मांग को लेकर आंदोलन भी किया था। इस दौरान प्रबंधन की ओर से ठेका कंपनियों में काम देने का आश्वासन दिया गया था। बीते दिनों प्रबंधन द्वारा खदान में ओबी और कोल परिवहन का ठेका कलिंगा नाम की कंपनी को दिया गया है। कंपनी के जिम्मेदार अधिकारी आने वाले दिनों में काम शुरू करने की बात करते आ रहे थे। इस बीच भू-विस्थापितों को पड़ोसी राज्यों से मजदूर लाए जाने की भनक लगी।
जिसके बाद भारी संख्या में भू-विस्थापित कलिंगा कंपनी के कैंप पहुंचे, जहां करीब 120 मजदूर मौजूद थे। इन मजदूरों को देखते भू-विस्थापितों का आक्रोश फूट पड़ा। उन्होंने प्रबंधन पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए मजदूरों को कैंप से बाहर निकाल दिया। मामले की जानकारी होने पर ठेका कंपनी के अलावा एसईसीएल के अफसर, पुलिस और सुरक्षाकर्मी मौके पर पहुंचे।कैंप के बाहर काफी देर तक हंगामा चलता रहा। आखिरकार पुलिस के समझाने पर भू-विस्थापित चर्चा के लिए पुलिस चौकी जाने के लिए राजी हुए।
मानिकपुर चौकी प्रभारी प्रहलाद राठौर ने बताया कि घटना की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और विवाद शांत कराया। यहां कम्पनी के अधिकारियों को भी बुलाया गया। कलिंगा कमर्शियल कंपनी के पीआरओ चक्रधर मोहंती ने इस पूरे मामले में कहा कि एसईसीएल प्रबंधन के नियमानुसार स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराया जाता है, लेकिन कुछ लोग जबरदस्ती विवाद कर स्थानीय लोगों को बदनाम करने का प्रयास करते हैं। उनके द्वारा बेवजह ही विवाद की स्थिति निर्मित की जाती है।