बेजुबान पशु पक्षियों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी
एनिमल लवर क्रिस्टी मसीह
जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा है यह हमारे पर्यावरण को भी संतुलित बनाए रखने में सहायक होते हैं जानवर मनसे सच्चे होते हैं उनमें भी भावनाएं होती हैं जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए क्योंकि यह बहुत ही कोमल व संबंधित सीन होते हैं इंसान लालच में इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे और कुछ भी नहीं दिखता बेजुबान जानवर और इंसान के बीच का रिश्ता बहुत खास होता है हम इंसान जानवरों को प्यार देते हैं इसके बदले वफादारी के साथ हमारी सुरक्षा करते हैं पर यह बातें सिर्फ वही लोग समझ सकते हैं जिन्हें उसमें लगाव और प्यार होता है कई मौके ऐसे आए जब इंसान के प्यार ने बेजुबान पशुओं की जान बचा कर मानवता का धर्म निभाया पर्यावरण को संतुलित रखने मैं पेड़ पौधे के साथ ही पशु पक्षियों की भूमिका भी अहम है मनुष्य के अत्यधिक हस्तक्षेप के कारण इनकी संख्या बहुत कम होती जा रही हैं यदि हम जल्दी नहीं सुधरे तो स्थिति और भयानक हो को सकती है कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से जहां पशु पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है वहीं कुछ प्रजातियां तो विलुप्त के कगार पर पहुंच चुकी है गर्मी का मौसम विशेषकर पक्षियों के लिए बहुत ही कष्ट प्रीत होता है उन्हें बचाने के लिए सभी को प्रयास करना चाहिए कम से कम एक सकोरा पानी का भरकर छायादार स्थान पर रख दें तो बहुत से पक्षियों की जान हम बचा सकते हैं मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रगति के साथ लगातार छेड़छाड़ करता जा रहा है इसके दुष्परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं युगो से इंसान पशु पक्षियों से प्यार करता आ रहा है दुनिया में कई सारे ऐसे लोग हैं जो पक्षियों और जानवरों से बेहद प्यार करते हैं कई लोगों ने कुत्ता बिल्ली जैसे जानवरों को ऐसे अपना लिया है कि वे उन्हें अपने परिवार का बेहद अहम हिस्सा मानते हैं कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को अपने बच्चे मानते हैं और भी उनका पालन पोषण करते हैं जैसे कि इंसानी बच्चों का किया जाता है बेजुबान मासूम जानवरों को सड़कों पर वाहन से कुचल आगे बढ़ जाना या फिर उन्हें तड़पते हुए देख कर अनदेखा कर देना आजकल लोगों की फितरत बन चुकी है लेकिन अपने इस रवैया के कारण हम यह सब भूल जाते हैं कि हमारे बीच रहने वाले पशु पक्षियों को केवल हमारा ही सहारा है भले ही जानवर अपना दर्द बयां ना कर सकते हो लेकिन इंसान के प्रति प्यार और लगाव बेखुदी बयां करते हैं दो वक्त की रोटी और कुछ पल कि प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते हैं जानवरों के प्रति हमारा व्यवहार बहुत प्यार भावना वाला होना चाहिए बेशक जानवर बोल नहीं सकते लेकिन उनमें भी मन की तरह दर्द भावनाएं प्यार होता है जानवर भी खुशी और दुखी होती हैं जानवर भी हर बात को समझते हैं और महसूस करते हैं जानवरों का भी अपना परिवार होता है l गुड़गांव की मशहूर एनिमल लवर क्रिस्टी मसीह ने यह बीड़ा उठाई है इस समाज में होने वाले बेजुबान जानवरों को हम अपने बच्चों की तरह माने और उनको प्यार दें उनका भी एक परिवार होता है आए दिन बेजुबान जानवर की हत्याएं दिन पर दिन होती जा रही हैं इन्हें रोकने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए और इस मुहिम को जगह-जगह फैलाना चाहिए कि बंद करो अत्याचार अब हम नहीं बर्दाश्त करेंगे।
एनिमल लवर क्रिस्टी का कहना है के सारे जीवो को एक समान हक दिया कुत्ता बिल्ली गाय भैंस बंदर सब। क्रिस्टी पीपल फॉर एनिमल्स जो श्रीमती मेनका गांधी जी का है उसकी बहुत एक्टिव सदस्य भी है, और एनिमल वेलफेयर दिल्ली एनसीआर में देखती है।
क्रिस्टी एक इंटरनेशनल बैंकर है यूएसए की कंपनी में और उसी सैलरी से एनिमल वेलफेयर की फंडिंग करतीं है।
गाय के ट्रीटमेंट से लेके एनिमल क्रुएल्टी तक क्रिस्टी के 100 किस्से मशहूर है, और ये चाहती है जितना अधिकार इंसान का इस धरती पर है उतना या उससे ज्यादा जानवरो का है।
इनका मानना है के काले कुत्ते को रोटी देकर बाकी को मारने से कोई पुन्य नही सुधरेंगे बल्कि इससे लोग पाप के और अधिकारी बन जायेंगे।
बिना दिखावे की सेवा ही भगवान तक जाती है ना की पंडितो के कहने पर पाप धोने के लिए खिलाने से।
इनका कहना है रोज हर घर से एक रोटी गाय की और एक कुत्ते की भी निकल जाए तो ये जानवर भूखे नही मरेंगे सड़क पर, एक इंसान सब के लिए नही कर सकता पर सब लोग अपने एरिया के जानवरों के स्वस्थ के लिए थोड़े प्रयास कर सकते है।
ऐसा करने से हम उनका कर्म तो नही खतम कर सकते पर बेसहारा बेजुबान का दर्द कम कर सकते है, आखिर भगवान ने हमें इतना लायक बनाया है के इंसान मुंह से मांग सकता है दर्द बता सकता है, उस चीज का फायदा उठाते हुए लाचार की मदद करे और खाना दे, क्रूरता से बचाए।
“के —– पशु प्रेमी” का मतलब यह नहीं है कि वे इंसानों से नफरत करते हैं, बल्कि वे बेहतर तरीके से इंसानों के उद्योगों में शामिल होकर लोगों की मदद करते हैं। उन्होंने सड़क से उठाकर लोगों को खाना-पीना और कपड़ों की मदद की है, वृद्धाश्रम में जाकर उनसे बात की है और उनकी जरूरतें पूरी की हैं। उन्होंने अनाथाश्रम में छोटे बच्चों के साथ जन्मदिन मनाए हैं, और आंगनवाड़ी में जाकर बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाई है ताकि उन्हें भीख नहीं मांगनी पड़े और वह अच्छे स्कूल में पढ़े। यह लोगों से पता चलता है कि क्रिस्टी, हिंदू नहीं होने के बावजूद, पशुओं के प्रति इतना प्रेम रखती है और गरीबों की मदद में हमेशा आगे रहती है। वह मानती है कि जो इंसान जानवरों से प्रेम रखता है, वह कभी भी किसी का बुरा नहीं कर सकता, और भविष्य में उन्होंने एक एनिमल शेल्टर या ऐसा कुछ सोचा है जिससे जानवर सुखी रह सकें उनके ना होने पर भी , जैसा कि पुराने समय में होता था। क्रिस्टी सोशल वर्क में बोहोत आगे जाना चाहती है ताकि कोई भीख ना मांगे और कोई रोटी को न तरसे ।उन्होंने यह भी अपील की है सरकार से के पशुओं के प्रति क्रूरता के खिलाफ कठोर कदम उठाने चाहिए ताकि लोग बिना किसी कारण के अपने शौक के लिए पशुओं को नहीं मारें।”