ललितपुर, गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी श्री गुरु सिंह सभा के तत्वाधान में आज गुरुद्वारा साहिब लक्ष्मीपुरा में बाबा अजीत सिंह जी, बाबा जुझार सिंह जी ,बाबा जोरावर सिंह जी , बाबा फतेह सिंह जी,व माता गुजरी जी का शहीदी पर्व (वीर बाल) दिवस के रूप में मनाया गया इस अवसर पर श्रम सेवा योजना राज्य मंत्री मनोहर लाल मन्नू कोरी ने कहा कि चारों साहिबज़ादे गुरु गोबिंद सिंह और जीतो जी के बेटे थे. उनके नाम थे साहिबज़ादा अजीत सिंह, साहिबज़ादा जुझार सिंह, साहिबज़ादा जोरावर सिंह और साहिबज़ादा फतेह सिंह.
सरहिंद के नवाब वज़ीर खान ने माता गुजरी और उनके छोटे बेटों को कैद कर लिया था.
वज़ीर खान ने दबाव डाला कि दोनों बेटे धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल कर लें, लेकिन उन्होंने मना कर दिया.
वज़ीर खान ने दोनों बेटों को ठंडे बुर्ज में रखा और आखिर में उन्हें दीवार में जिंदा चुनवाने का आदेश दे दिया.
26 दिसंबर, 1704 को दोनों बेटों ने हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया.
यह खबर जैसे ही माता गुजरी उनकी दादी को पता चली, उन्होंने भी अपने प्राण त्याग दिए.
सादर विधायक रामरतन कुशवाहा ने कहा कि चारों साहिबज़ादों की याद में हर साल 21 दिसंबर से 27 दिसंबर का सप्ताह बलिदानी सप्ताह के तौर पर मनाया जाता है. साल 2022 से वीर बाल दिवस को भी मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि
दोनों छोटे साहिबज़ादे ज़ोरावर सिंह व फतेह सिंह अपनी दादी माता गूजरी जी के साथ अलग रास्ते चले गए। उनके ही एक सेवक के विश्वासघात के कारण सरहिंद के नवाब वज़ीर खान ने उन्हें बंदी बना लिया गय़ा तथा बाद में जीवित ही दीवार में चिनवा दिया।इस अवसर पर हजूर साहिब नांदेड़ महाराष्ट्र से पधारे ज्ञानी गुरबचन सिंह ने भी अपने जत्थे के साथ अपने विचार प्रकट किए उन्होंने कहा कि आज जहां साहिब जादो को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया उस स्थान पर आज गुरुद्वारा श्री फतेहगढ़ साहिब बना है। इसमें बना ठंडा बुर्ज सिख इतिहास की पाठशाला का वह सुनहरी पन्ना है, जहां साहिबजादों ने धर्म की रक्षा के लिए शहादत दी थी। मासूम साहिबजादों की इस शहादत ने सभी को हिला कर रख दिया था। कहा जाता है छोटे साहिबजादों की शहादत ही आगे चलकर मुगल हकूमत के पतन का कारण बनी थी।
श्री गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा ने कहा कि श्री गुरु गोबिंद सिंह के चार साहिबजादों में दो अन्य चमकौर की जंग में शहीद हुए थे। गुरु गोबिद ने अपने दो पुत्रों को स्वयं आशीर्वाद देकर जंग में भेजा था। चमकौर की जंग में 40 सिखों ने हजारों की मुगल फौज से लड़ते हुए शहादत प्राप्त की थी। 6 दिसंबर, 1705 को हुई इस जंग में बाबा अजीत सिंह (17) व बाबा जुझार सिंह (14) ने धर्म के लिए बलिदान दिया था। इस अवसर पर सहज पाठ साहब की समाप्ति व लंगर की सेवा व दूध की सेवा कुलदीप सिंह हरमीत सिंह अरोरा परिवार की ओर से हुई
इस अवसर पर गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष ओंकार सिंह सलूजा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष हरविंदर सिंह सलूजा, कोषाध्यक्ष परमजीत सिंह छतवाल, मंत्री मनजीत सिंह पत्रकार, जिला अध्यक्ष राजकुमार जैन,श्रम सेवा राज्यमंत्री मनोहर लाल पंथ उर्फ मन्नू कोरी, सदर विधायक रामरतन कुशवाहा एड, जिला पंचायत अध्यक्ष कैलाश नारायण निरंजन,बुन्देलखण्ड विकास बोर्ड के सदस्य प्रदीप चौबे, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष प्रतिनिधि मुन्ना लाल जैन सैदपुर , शिक्षक विधायक प्रतिनिधि केदारनाथ तिवारी, जिला सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष श्रीकांत कुशवाहा, परसन सिंह परमार, गुरमुख सिंह, तेजवंत सिंह, जगजीत सिंह बॉबी, जसपाल सिंह पप्पू ,दलजीत सिंह, मनजीत सिंह ,अरविंदर सिंह सागरी, बिंदु कालरा, मनविंदर कौर, डॉ हरजीत कौर, नीतू कौर, जिला मीडिया प्रभारी देवेन्द्र गुरु, महेश श्रीवास्तव भैया,भगवत दयाल सिन्धी, क्षेत्रीय सदस्य धर्मेंद्र गोस्वामी, जिला उपाध्यक्ष बसंती लारिया, सह मीडिया प्रभारी ध्रुव सिंह सिसौदिया, जगभान सिंह राजपूत, अशोक साहू दाऊ, भगत सिंह राठौर, महेश ग्वाला,दीपक पाराशर, युवा मोर्चा अध्यक्ष नीतेश संज्ञा,महेश ग्वाला, रुपेश साहू,पियूष प्रताप सिंह बुंदेला,राहुल सिंह राजपूत, सोनू चौबे,गजेन्द्र प्रताप सिंह राजपूत,रवि साहू, रुद्रप्रताप सिंह बुंदेला, सुरेन्द्र सिंह लारिया,भागीरथ साहू,छोटू साहू, सचिन साहू आदि उपस्थित रहे। संचालन महामंत्री सुरजीत सिंह सलूजा ने किया।