सीएमएस एस डी त्रिपाठी को मामले का संज्ञान
ब्यूरो बांदा
बांदा-जिला अस्पताल में कार्यरत डॉ. सुधीर गुप्ता पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार,डॉ. गुप्ता ने होम्योपैथी की पढ़ाई की है, लेकिन वह लंबे समय से एलोपैथी की प्रैक्टिस कर रहे हैं। मरीजों और अस्पताल के कर्मचारियों के बीच इस मामले को लेकर चर्चा का माहौल है।
बोर्ड पर नहीं दी गई सही जानकारी
डॉ. गुप्ता के चेंबर पर न तो यह स्पष्ट लिखा गया है कि वह किस पैथी में प्रशिक्षित हैं और न ही मरीजों को यह जानकारी दी जाती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई मरीजों को यह तक पता नहीं है कि डॉक्टर साहब होम्योपैथी के विशेषज्ञ हैं।
कमीशन वाली दवाओं का खेल
मरीजों और सूत्रों का आरोप है कि डॉ. गुप्ता मरीजों को बाहर की कमीशन वाली दवाएं लिखते हैं। इन दवाओं का मूल्य अक्सर अधिक होता है, जिससे मरीजों को आर्थिक रूप से परेशानी का सामना करना पड़ता है। आरोप यह भी है कि वह बिना किसी स्पष्ट प्रशिक्षण या लाइसेंस के एलोपैथिक दवाएं लिख रहे हैं, जो चिकित्सा नियमों के खिलाफ है।
सांठगांठ का आरोप
हालांकि जिला अस्पताल में होम्योपैथी के लिए अलग विभाग उपलब्ध है, लेकिन डॉ. गुप्ता एलोपैथी के बीच काम कर रहे हैं। मरीजों और कुछ कर्मचारियों का मानना है कि उन्होंने यह स्थान सांठगांठ से हासिल किया है ताकि उनकी गतिविधियों पर कोई सवाल न उठाए और वह अधिक पैसा कमा सकें।
मरीजों की सुरक्षा पर सवाल
यह मामला न केवल चिकित्सा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकता है। बिना उचित विशेषज्ञता के एलोपैथिक दवाएं लिखने से मरीजों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
अधिकारियों से जांच की मांग
स्थानीय लोग और मरीजों के परिजन जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग से इस मामले की जांच की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह जरूरी है कि डॉ. गुप्ता की योग्यता और प्रैक्टिस के तरीके की जांच हो, ताकि अस्पताल में चिकित्सा सेवाएं पारदर्शी और सुरक्षित बनी रहें।
जिला अस्पताल प्रशासन ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए जल्द ही कोई कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।