नई दिल्ली: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने जब से पद छोड़ने का ऐलान किया है, उनकी राजनीतिक पारी की चर्चा हो रही है। मुंबई से लेकर दिल्ली की राजनीति में बराबर दखल रखने वाले पवार हमेशा अहम भूमिका में रहे। एक बार उन्होंने कहा था कि यूपीए सरकार के समय वह केंद्र और गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के बीच एकमात्र वार्ताकार या कहें कि कड़ी का काम करते थे। बाद में कुछ इसी तरह की भूमिका उन्होंने तब निभाई जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए और महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी। मोदी और पवार भले ही अलग-अलग पार्टी से हैं, पर प्रधानमंत्री हमेशा से पवार का काफी सम्मान करते रहे हैं। आज पवार ने राजनीतिक करियर का बड़ा फैसला अपनी एक किताब के विमोचन के अवसर पर लिया। ऐसे वक्त में 7 साल पहले शरद पवार की ऑटोबायोग्रफी की लॉन्चिंग के मौके पर कही गई पीएम मोदी की बातों का जिक्र करना जरूरी हो जाता है।
जहां से गुजरें तुम्हारी नजरें
पीएम माइक के सामने आए और शुरुआती स्वागत के बाद उन्होंने पहली ही लाइन में दिलचस्प बात कही थी। मोदी ने कहा, ‘जब हम छोटे थे तो सुना करते थे… पूरे शब्द तो याद नहीं हैं, पर सुनते थे कि अमल करो ऐसा मन में, जहां से गुजरें तुम्हारी नजरें, वहां से तुम्हें सलाम आए।’ सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा था। कार्यक्रम में मंच पर प्रतिभा पवार भी मौजूद थीं। पीएम ने कहा था कि आज शरद राव जी का जीवन देखते हुए लगता है कि जहां भी उनकी नजर गुजरेगी सब ओर से उनको सलाम आएगा। तब पीएम ने कहा था कि इसका कारण पांच दशक से ज्यादा अखंड एकनिष्ठ साधना है।
मोदी ने कहा कि वन लाइफ, वन मिशन हम लोग सुनते हैं लेकिन उसके लिए अपने आप को खपा देना सरल नहीं होता है। ज्यादातर आजादी के बाद और खासकर 70 के दशक के बाद देश में जो नेतृत्व आ रहा है, राजनीतिक आंदोलन की कोख से पैदा होकर आ रहा है। लेकिन शरद राव रचनात्मक कामों की कोख से पैदा हुए राजनेता हैं। पिताजी कोऑपरेटिव मूवमेंट से जुड़े थे, मां राजनीतिक जीवन होने के बाद भी शिक्षा के प्रति समर्पित थीं। मैंने निकट से देखा है कि शरद राव का अधिकतम समय रचनात्मक कार्यों में लगा हुआ है। आज भी कोई बारामती जाकर देखेगा तो चारों तरफ कुछ न कुछ रचनात्मक गतिविधियों में शरद परिवार की महक आएगी।
इस कार्यक्रम में ऑडियंस में राहुल गांधी और जेपी नड्डा भी बैठे थे। मोदी ने कहा था कि राजनीतिक जीवन होने के बाद उनका मूलपिंड रचनात्मक गतिविधि का रहा है। इतने लंबे अर्से की राजनीतिक सफलता का मूल भी रचनात्मक गतिविधि है। शरद राव अपने आप में उदाहरण हैं कि उन्हें कैसे नया करने का विचार मिला। मोदी ने कहा था, ‘वह जब ऊंचाइयों पर थे, हम तो किसी गली-मोहल्ले में गुजारा करते थे, तब हम उनके बारे में जो सुनते थे क्योंकि गुजरात और महाराष्ट्र में निकट संबंध है। खासकर मुंबई में कुछ भी गतिविधि होती है, यहां तक कि बारिश भी वहां हो जाए तो ठंड यहां (गुजरात) आना शुरू हो जाती है। एक बात सामने आती थी कि एक अच्छे प्रशासक के रूप में उनकी पहचान है। एक कालखंड आया जब अंडरवर्ल्ड ने मुंबई के जीवन को तहस-नहस कर दिया था और अंधकार सा माहौल दिख रहा था। मैं कहता हूं कि यह शरद राव का कौशल था कि उन्होंने मुंबई को अंडरवर्ल्ड से बचाया, उसे बाहर निकाला। ये उनका सामर्थ्य था।’