फिरोजाबाद। श्री चिन्ताहरण शिवमहापुराण कथा में कथा व्यास शिवदास राघवाचार्य जी ने महादेव की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान शिव जी भाव से प्रसन्न हो जाते है। मन में महादेव को बसा कर मात्र एक लोटा जल शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान सबकी इच्छा पूर्ण करते है। जीवन के समस्त दुःख हर लेते है। भगवान शिव ने ब्रह्मा जी और विष्णु जी को 30 दिन तक सृष्टि रचना का ज्ञान श्रवण कराया और यही 30 दिन श्रावण के माह के नाम से जाना जाता है। श्रावण के माह के नाम से जाना जाता है। श्रावण के माह का सम्पूर्ण फल शिव चरित्र का श्रवण करने से होता है। श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी कहते है। नागपंचमी को नागों की पूजा महादेव ने नागपंचमी को ही वसुकी नाग को अपने गले में धारण किया तथा वसुकी को वरदान दिया । जब तक मुझसे पहले तुम्हार पूजा नहीं होगी तब तक मैं पूजा को स्वीकार नहीं करूँगा। गुरू की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरू के बिना कोई पूजा पूर्ण नही होती है। जिनको देखकर ऐसा लगे कि जिनके पदचिन्हों के पीछे चलने से महादेव प्राप्त हो जायेगें उन्हीं को गुरू बनाना चाहिए। गुरु के दाहिनें पैर के अंगूठे का पूजन करने से भोलेनाथ की पूजा का दोगुना फल प्राप्त होता है। जब तक गुरू की कृपा नंही होती तब तक मनुष्य का कल्याण नंही होता है। जो सदगुरू अपने शिष्य के कल्याण को भगवान से मांग ले उसकी कभी दुर्गति नंही हो सकती है।
आज की अन्नक्षेत्र सेवा श्री शिवशंकर अग्रवाल (शिब्बो लाला) के सौजन्य से व सायं काल प्रसादी शिवदत्त पचौरी के सौजन्य सें ।
मुख्य यजमान श्री विजय कुमार गुप्ता, श्रीमती हेमलता गुप्ता, राहुल गुप्ता, स्वाती गुप्ता, रिषी, पीयूष, राहुल, प्रियंका, पूजा गुप्ता, रजत गुप्ता, रामनरेश बंसल, श्री गोविन्द गर्ग, श्री ब्रजेश कुमार अग्रवाल, श्री आलोक अग्रवाल, अंकिता भारद्वाज, गोपाल, आयुष शर्मा, मयंक तथा समस्त शिव भक्त मौजूद रहें ।