नई दिल्ली: भूकंप में तुर्की और सीरिया पूरी तरह बर्बाद हो गए। पूरी दुनिया को अपना परिवार मानने वाले भारत ने जल्द से जल्द मदद भेजी। भारतीय वायुसेना के जंबो विमान NDRF की टीम, सेना और दूसरे जवानों को लेकर उड़ चले। डॉग स्क्वॉड भी मलबे के नीचे दबी जिंदगियों को ढूंढने पहुंच गया। अब बचाव दल वापस स्वदेश लौट आया है। यहां आकर उन्होंने जो बताया वह हर भारतीय को जानना और सुनना चाहिए। आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। आप गर्व से भर जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ (Operation Dost) में शामिल जवानों के साथ बातचीत की है। बचाव दल में शामिल कई जवानों और अधिकारियों ने बताया कि जब वे लौट रहे थे तो तुर्की के लोग रो रहे थे। उन्होंने भारतीय कर्मियों को ईश्वर के समान माना। किसे ने माथा चूमा तो किसी ने कहा कि आने वाली पीढ़ियां भी भारत के योगदान को याद रखेंगी।
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि जब मैं राउंड पर था तो एक पेशेंट का रिलेटिव देखकर समझ गया कि मैं कमांडिंग अफसर हूं। उसने मेरे दोनों हाथों को पकड़कर आंखों से लगाया और चूमा। मैं भी झुक गया तो उसने कहा कि आप समझ सकते हैं कि इसका मतलब क्या है। मैंने कहा कि आप मुझे इज्जत दे रहे हैं। वह बोले, नहीं। आप मेरे पिता समान हैं। उसके बाद उसने कहा कि सर, मैं इस देश की यंग जनरेशन हूं और मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि आपके देश ने हमारे देश के लिए क्या किया।
बचाव दल एनडीआरएफ की एक महिला जवान ने बताया कि तुर्की की एक महिला ने कहा कि उसके लिए सबसे पहले अल्लाह हैं और आज की तारीख में दूसरे नंबर पर आप हो।
जूली ने भौंका फिर रोमियो को भेजा गया
बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने पूछ लिया कि डॉग स्क्वॉड आपके साथ गया था। वहां पर ठंड ज्यादा थी। उनकी हेल्थ कैसी थी? इस पर एक जवान ने बताया कि हमारे सभी डॉग की तबीयत बहुत अच्छी रही है। एक अन्य एनडीआरएफ जवान ने बताया कि हमने सबसे पहले डॉग ‘जूली’ को मलबे की तरफ छोड़ा था। उसने भौंककर इंसान के जीवित होने का संदेश दिया। इसके बाद ‘रोमियो’ को कन्फर्मेशन के लिए छोड़ा गया। रोमियो ने भी भौंककर लाइव विक्टिम होने का कन्फर्मेशन दिया और आगे प्रयास तेज कर दिए गए।
हम लौट रहे थे और वे रो रहे थे
एक अधिकारी ने बताया कि हमने दो छोटी बच्चियों को भूकंप के 80 घंटे और 104 घंटे के बाद मलबे से जिंदा बाहर निकाला। उन्होंने आगे कहा कि जब हम एयरपोर्ट पर अपने जहाज की तरफ बढ़ रहे थे तो लोगों ने तालियां तो बहुत सुनीं लेकिन सबको पता नहीं होगा कि वहां काफी लोग रो रहे थे। वे ‘हिंदीस्तानी’ बोल रहे थे।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि तिरंगा लेकर हम जहां भी पहुंचते हैं लोगों को आश्वासन मिल जाता है कि भारत की टीमें आ चुकी हैं। आज दुनियाभर में भारत के प्रति एक सद्भावना है।
72 घंटे बाद उसे निकाला गया
सेना की एक महिला अधिकारी ने बताया कि 72 घंटे से ज्यादा वह मलबे में दबी हुई थी। वह आई स्ट्रेचर पर थी लेकिन वापस अपने पैरों पर चलकर गई। जाते समय उसकी आंखों में आंसू थे हमें धन्यवाद करते हुए। हमें ईश्वर के समान बोला और कहा कि जितना धन्यवाद मैं उनका करती हूं उतना ही आपका कर रही हूं।
भारतीय वायुसेना के एक अधिकारी ने कहा कि एयरफोर्स का ग्लोबमास्टर जहां भी उतरता है। एक उत्साह पैदा हो जाता है कि भारत उनकी मदद करने के लिए आया है। जो छवि आज की तारीख में भारत की दूसरे देशों में है, कहीं भी कुछ भी होगा तो भारत जितना हो सकेगा जरूर मदद करेगा। किसी और से ज्यादा ही करेगा।
तुर्की की सेना ने सीखा फिर…
पीएम ने पूछा कि ऑपरेशन करने के लिए अलग-अलग टीमें थीं, उनकी कुछ जरूरत पड़ गई तो क्या वे भी एक दूसरे की मदद करते थे? एक अधिकारी ने बताया कि एक साइट पर तुर्की की टीम के साथ लगातार काम करने का मौका मिला। लगभग 72 घंटे तक हम उस साइट पर काम करते रहे। हम लोग जब काम कर रहे थे तो अपनी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए कम से कम मलबा हटाकर अंदर घुसने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन लोकल आर्मी यूनिट उनकी थी, वे ज्यादातर हैवी मशीनरी का इस्तेमाल करते हुए लोड को हटाना चाह रहे थे। बाद में उन्होंने समझा और हमें काम करने को दे दिया। आगे उन्होंने हमारे तरीके से काम किया।
पीएम ने आखिर में कहा कि ऑपरेशन दोस्त मानवता के प्रति भारत के समर्पण और संकट में फंसे देशों की मदद के लिए तत्काल खड़े होने के हमारे कमिटमेंट को दिखाता है।