सेन्ट्रल जेल में हुए डीपीएफ (डिपार्टमेंट प्रोविडेंट फंड) काण्ड के बाद अब जेल के कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठ गए है। जेल अधीक्षिका को हटाने पुरे मामले की निष्पक्ष जाँच और जो राशि खाते से गई है उसे लौटाने की मांग को लेकर जेल परिसर में चार कर्मचारी अनशन पर बैठ गए।
केंद्रीय भैरवगड जेल में 13 करोड़ से अधिक के डीपीएफ गबन के बाद दो कर्मचारी फरार है वही भोपाल से से आई टीम एफआईआर दर्ज होने के बाद तीसरे दिन भी जांच कर रही है। अपनी जीवन भर की जमा पूंजी खो चुके कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि जेल अधीक्षिका उषा राजे के पद पर रहते हुए निष्पक्ष जांच सम्भव नहीं है। उन्हें तुरंत बर्खास्त कर यहाँ से हटा देना चाहिए। कर्मचारियों ने आरोप लगाया की बिना जेल अधीक्षिका की मिली भगत से यह संभव नहीं है। जब तक उषा राजे को पद से हटाया नहीं जाता तब तक जेल के कर्मचारी आमरण अनशन पर रहेंगे। प्रदर्शन कर रहे कर्मचारी सुरेश मरमट ने बताया कि मेरे पास तो रहने की जगह भी नहीं है जिसके मुख्य आरोपी बनाना चाहिए उसे जांच में साथ ले जा रहे है, कुल 27 लाख रुपए की राशि निकाल ली गई। कुछ ही महीनो बाद रिटायरमेंट है क्या करूंगा नहीं पता।
करीब 100 सिम से किया गबन
केंद्रीय जेल भैरवगढ़ में जीपीएफ घोटाला में कई एजेंसी जांच कर रही है, लेकिन इस कांड चौंकाने वाली बात सामने आई है कि गबन के लिए कर्मचारियों के रिकार्ड में मोबाईल नंबर बदल दिए गए थे। कर्मचारियों द्वारा बिना आवेदन दिए और जेल अधीक्षक के हस्ताक्षर के बिना राशि निकलना संभव नहीं, बावजूद कर्मचारियों के खातों से शशि निकलती रही। खास बात यह भी है कि खातेदारों को मोबाईल पर मैसेज तक नहीं आते थे। वह कर्मचारी रिपुदमन और अन्य साथियों ने करीब 100 सीम लाकर रिकार्ड में कर्मचारियों के मोबाईल नंबर बदल कर इस गबन को अंजाम दिया है। हालांकि मामले की जांच के लिए एसएसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल ने भी टीम गठित की है।
जाँच पूरी होने के बाद गिर सकती है गाज
भैरवगढ़ जेल में चल रहा गबन काण्ड करीब 2020 से चल रहा था और ठगों का अधिकांश शिकार उज्जैन और बड़नगर उप जेल के कर्मचारी हुए है।13 करोड़ में से लगभग 9 करोड़ रुपए जेल के सिर्फ तीन सिपाहियों के खातों में ट्रांसफर हुए हैं। इनमें एक फरार बाबू रिपुदमन है व शेष दो खाते भी जेल के दो सिपाही के ही निकले है। इनके खातों में लेन-देन का खुलासा होते ही उक्त दोनों भी फरार हो गए हैं। पुरे मामले में उज्जैन कलेक्टर से लेकर जांच दल भी साफ़ कर चूका है की अपना आयडी पासवर्ड किसी को शेयर करना सबसे बड़ी भूल है और अगर ऐसा हुआ तो उक्त अधिकारी की गलती है। अब जल्द ही जांच पूरी होने के बाद रिपोर्ट पेश होते ही इस मामले में उषा राजे पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।