संजय मिश्रा और नीना गुप्ता की अपकमिंग थ्रिलर फिल्म ‘वध’ का हाल ही में रिलीज हुआ है। फिल्म की कहानी रोमांच से भरपूर है। फिल्म में संजय मिश्रा एक व्यक्ति की हत्या कर देते हैं और फिर उसे ठिकाने लगाने का प्रयास करते हैं। हालांकि अभिनेता की माने तो ये इस फिल्म का श्रद्धा मर्डर केस से तुलना होना केवल संयोग हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत के दौरान, संजय मिश्रा ने अपनी फिल्म और पर्सनल लाइफ से जुड़ी बातें शेयर की।
क्या ‘श्रद्धा मर्डर केस’ की वध से तुलना करना ठीक है ?
कभी-कभी इस तरह का संयोग हो जाता है। जब ये फिल्म बनी थी तब शायद श्रद्धा बहुत खुश रहती होंगी और अब जब रिलीज हो रही है तो दुर्भाग्यवश उनके साथ ऐसा हो गया। हमारी फिल्म का इस केस से कोई लेना देना नहीं। हां, फिल्म के ट्रेलर में हमने दिखाया हैं बॉडी के टुकड़े-टुकड़े होना, शायद यह एक फैक्टर इस केस से मैच करता है लेकिन इसमें सच्चाई बिल्कुल नहीं है। श्रद्धा मर्डर केस बहुत ही दुखद घटना है और इस फिल्म का उससे कोई लेना देना नहीं। हां लेकिन मेरी जिंदगी का अशफाक (फिल्म में किरदार का नाम) को मारा। हर एक की जिंदगी में एक अशफाक होता है, मैंने उसका वध किया। केवल इस बात को मैं इस रियल केस से रिलेट कर सकता हूँ।
नीना गुप्ता के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?
नीनाजी, नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में मेरी सीनियर रह चुकी हैं। फिल्म की शूटिंग खत्म हुए साल हो गए और उन्हें अब पता चला की मैं उनका जूनियर हूं, वरना वो हमेशा से मुझे अपना सीनियर समझती थी। शूटिंग के दौरान, हम दोनों ही एक दूसरे को सीनियर समझकर सम्मान देते रहे उनके लिए एक शेर हैं – मैं तो छोटा हूं झुका लूंगा अपने सर को, पहले सब बड़े तय तो कर ले की कौन बड़ा हैं। फिल्म में काफी अच्छी केमिस्ट्री नजर आएंगी।
सालों बाद अपने कमबैक से आप कितने संतुष्ट हैं ?
उस वक्त एक ही तरह की जिंदगी जीते-जीते बोर हो गया था, हालांकि ऐसी भावना फिर से महसूस हो रही है। फिर से चाय की दुकान खोलने का मन कर रहा हैं। अपने परिवार की भी जिम्मेदारी हैं तो इसे देखकर लगता है की जैसे चल रहा है चलने दो। सर आपका शॉर्ट रेडी हैं, आपको फिल्म में काम करने पर कैसा लग रहा हैं, इन सभी सवालों से थक चूका हूँ। अपने चाहने वालों से कहूंगा की भगवान से प्रार्थना कीजिए की मैं वापस उस दौर में जाऊ, थोड़े दिन इधर-उधर घुमू, थोड़ा और मस्ती करना चाहता हूं।