खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री श्री बिसाहूलाल ने कहा है कि प्रदेश में अब तक 45 लाख 61 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन हो चुका है। श्री सिंह शुक्रवार को मंत्रालय में धान उपार्जन की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जिन जिलों में धान का उत्पादन नहीं है वहाँ चावल भेजने के बदले धान भेजी जाएगी। इससे जहाँ एक ओर परिवहन एवं समय की बचत होगी वहीं दूसरी ओर संबंधित जिले में धान मिलर्स को भी काम मिल सकेगा।
श्री सिंह ने बताया कि 28 नवम्बर से शुरू धान का उपार्जन 16 जनवरी तक चलेगा। उन्होंने बताया कि प्रदेश में इस वर्ष सर्वाधिक धान उपार्जन वाला जिला बालाघाट रहा जहाँ 5 लाख् 38 हजार 554 मीट्रिक टन धान का उपार्जन हुआ। प्रदेश में अभी 41 लाख 78 हजार 579 मीट्रिक टन धान का उर्पाजन शेष है। उन्होंने बताया कि इस साल सितम्बर तक 45.61 लाख मीट्रिक टन मिलिंग का लक्ष्य प्राप्त कर लिया जाएगा। केन्द्र सरकार ने धान मिलिंग की दर 10 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित की है। राज्य शासन द्वारा धान मिलर्स को प्रोत्साहित करने के लिए मिलर्स को 50 रूपये प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त भुगतान किया जाता है। श्री सिंह ने कहा कि राज्य शासन की मंशा के अनुरूप प्रदेश में धान मिलर्स को प्रोत्साहित करने के उददेश्य से नई धान मिल लगाने के लिए राज्य सरकार सब्सिडी प्रदान करती है।
धान परिवहन 185 कि.मी. तक मिलर्स को नि:शुल्क
प्रमुख सचिव खाद्य श्री उमाकांत उमराव ने बताया कि मिलर्स को अपनी धान मिल से 185 कि.मी. तक के परिवहन व्यय की प्रतिपूर्ति निश्चित दर पर राज्य शासन करेगा। इससे अधिक दूरी के लिए परिवहन व्यय भार मिलर को स्वयं भुगतान करना होगा। राज्य शासन द्वारा ऐसे जिलों में जहाँ धान का उपार्जन नहीं है वहाँ आवश्यकता से अधिक उत्पादन वाले जिलों से धान भेजा जायेगा। श्री उमराव ने बताया कि राज्य शासन धान मिलिंग क्षमता एवं ब्लेंडिंग क्षमता में वृद्धि के लिए सतत प्रयासरत है। प्रदेश में 729 राईस मिल हैं जिनमें से 464 मिलों में ब्लेंडिंग यूनिट स्थापित है। शेष मिलों में ब्लेंडिंग यूनिट लगाए जाने की कार्यवाही चलन में है। फोर्टीफाइड राईस के निर्माण में एफआरके की व्यवस्था के लिए मिलर्स को तीन माह की अनुमति दी गई है। नवीन मिल स्थापना के लिए 8 जिलों में 5 लाख 75 हजार मी.ट. वार्षिक क्षमता वाली कुल 16 राईस मिल का प्रावधान है।