नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने वरिष्ठ वकील सौरभ कृपाल (Saurabh Kirpal) को दिल्ली हाई कोर्ट का जज बनाने की दोबारा सिफारिश की है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाले कॉलेजियम ने रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) की ‘आपत्तियों’ को खारिज कर दिया। रॉ ने समलैंगिक वकील के विदेशी पार्टनर को लेकर शक जाहिर किया था। कॉलेजियम ने दूसरी बार कृपाल का नाम केंद्र सरकार को भेजा है।
सौरभ कृपाल के पार्टनर निकोलस जर्मेन बाकमैन (Nicolas Germain Bachmann) स्विस नागरिक हैं। बाकमैन स्विस दूतावास के साथ काम करते हैं। कॉलेजियम ने कहा कि रॉ ने जो कुछ भी बताया, उससे यह बिल्कुल नहीं लगता कि कृपाल के आचरण से राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई असर पड़ता है। कॉलेजियम ने कहा कि पहले से यह मान लेना कि उनके पार्टनर भारत के प्रति दुश्मनी का भाव रखते होंगे, गलत है।
SC कॉलेजियम ने कहा, ‘RAW की चिट्ठियों से ऐसा लगता है कि उसकी दो आपत्तियां हैं… (1) सौरभ कृपाल के पार्टनर एक स्विस नागरिक हैं और (2) वे एक अंतरंग रिश्ते में हैं और अपने सेक्सुअल ओरिएंटेशन को लेकर मुखर हैं।’ कॉलेजियम के अनुसार, उच्च पदों पर बैठने वाले कई लोग, जिनमें संवैधानिक पद भी शामिल हैं, के जीवनसाथी विदेशी रहे हैं… ऐसे में उसपर कोई आपत्ति नहीं हो सकती।
कॉलेजियम की ताजा सिफारिश पर सीजेआई के अलावा जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ के हस्ताक्षर हैं। कानून मंत्रालय ने भी कृपाल के नाम पर आपत्ति जताई थी। केंद्र का कहना था कि कृपाल ‘समलैंगिक अधिकारों की मुहिम से जुड़े हैं’ और भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्राप्त नहीं है, ऐसे में वे पक्षपाती हो सकते हैं। इसपर कॉलेजियम ने केंद्र को नवतेज जौहर मामले में संविधान बेंच के फैसले की याद दिलाई। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर व्यक्ति को सेक्सुअल ओरिएंटेशन के आधार पर अपनी गरिमा और व्यक्तित्व बनाए रखने का अधिकार है। कॉलेजियम ने कहा है कि सेक्सुअल ओरिएंटेशन के चलते कृपाल को जज न बनाने से सुप्रीम कोर्ट के तय किए सिद्धांतों का उल्लंघन होगा।