बेंगलुरु: एक म्यूजिक इवेंट में कन्नड़ में गाने की रिक्वेस्ट पर सोनू निगम ने विवादित बयान दिया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि इसी वजह से पहलगाम हुआ. जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी. लेकिन सिंगर को कोर्ट से थोड़ी राहत मिल गई है. 15 मई को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने निर्देश दिया कि गायक सोनू निगम के खिलाफ अगली सुनवाई तक कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा. अदालत ने गायक को जांच अधिकारी (आईओ) द्वारा अपना बयान दर्ज करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने की भी अनुमति दी. अगर आईओ व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने पर जोर देता है, तो अदालत ने कहा कि ऑफिसर खुद जाकर सोनू निगम से मिले.




क्या है मामला ?
यह मामला एक म्यूजिक इवेंट में हुई घटना के बाद दर्ज की गई शिकायत का है, जहां कुछ कन्नड़ फैंस ने निगम से कन्नड़ में गाने की रिक्वेस्ट की. इस पर सोनू निगम ने नरम लहजे में कहा कि, ‘इसी वजह से पहलगाम हुआ’. उन्होंने इसकी जम्मू और कश्मीर में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले से एक विवादास्पद तुलना कर दी. जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायत दर्ज हो गई. सुनवाई के दौरान निगम के वकील धनंजय विद्यापति ने दलील दी कि शिकायत केवल प्रचार के लिए दायर की गई थी और आईपीसी की धारा 505 के तहत सार्वजनिक शरारत का कथित अपराध नहीं बनता.
इस पर राज्य के वकील ने कहा, ‘यह कमेंट जानबूझकर किया गया था या नहीं, यह धारा 482 (सीआरपीसी) के तहत तय नहीं किया जा सकता. उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया है. वह कम से कम यह तो कह सकते थे कि वह बिजी थे’. उन्होंने आगे कहा, ‘जो व्यक्ति कानून की उचित प्रक्रिया का सम्मान नहीं करता, उसे 482 के तहत लाभ नहीं दिया जा सकता. वह एक आम व्यक्ति नहीं है और इसीलिए उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए’.
जब अदालत ने पूछा कि निगम का बयान वर्चुअली या उनके घर पर क्यों नहीं दर्ज किया जा सकता, तो राज्य ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा करना गायक को बहुत ज्यादा सुविधा देने के समान होगा. इसके बाद अदालत ने कहा, ‘अगर आप उनकी मौजूदगी चाहते हैं, तो आप उनके घर जाकर उनका बयान दर्ज करें. खर्चा सोनू निगम देंगे’. अदालत ने राज्य की दलील दर्ज की कि अगर निगम जांच में सहयोग करते हैं तो कोई भी दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा. साथ ही अगली सुनवाई तक मामले में कोई भी अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने पर रोक लगा दी.
