आज विश्व विकलांगता दिवस है। इस मौके पर आपको ऐसी बच्ची के बारे में बताते हैं, जो दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा से कम नहीं। ये है रतलाम की रहने वाली 13 साल की दीक्षिका गोस्वामी। मूक-बधिर और एक पैर से दिव्यांग। जब दीक्षिका स्टेज पर डांस करने आती है, तो देखने वाले दांतों तले उंगलियां दबा लेते हैं। यही वजह है कि वह सोशल मीडिया पर छाई हुई है। वह परिवार का नाम रोशन कर रही है।
रतलाम के डोसीगांव में अपने मामा दशरथ गिरि गोस्वामी के यहां रहती है। दशरथ बताते हैं कि दीक्षिका का जब जन्म हुआ, तो उसका एक पैर अविकसित रह गया। गोस्वामी परिवार के लोगों ने इसे ईश्वर की इच्छा समझकर लालन-पालन शुरू कर दिया। कुछ महीनों के बाद दीक्षिका की एक और दिव्यांगता के बारे में पता चला। दीक्षिका सुन नहीं सकती थी। वह बोलना भी नहीं सीख सकी। परिवार वालों ने इंदौर और बड़ौदा तक उसका इलाज करवाया, लेकिन कुछ नहीं हुआ। ऑपरेशन का खतरा और महंगे इलाज की वजह से इलाज मुमकिन नहीं हो सका।
माता-पिता मंदसौर जिले के केसौदा गांव में रहते हैं। यहां दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष स्कूल की व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि उसके मामा दशरथ गोस्वामी उसे रतलाम ले आए। यहां वह नाना-नानी के साथ रहती है। वह मूक बधिर व दिव्यांग स्कूल में पढ़ाई करती है। दीक्षिका की रुचि डांसिंग में होने लगी।