अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के सुनील सिंह की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। वे साल 2002 में केवल 300 डॉलर, यानी तब के हिसाब से करीब 10 हजार रुपए लेकर अमेरिका आए थे, लेकिन आज वे यहां पिज्जा किंग के तौर पर जाने जाते हैं।
दरअसल, साल 1994 में सुनील भारत में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे। इसी दौरान उनके रिश्तेदार ने उन्हें ग्रीन कार्ड के लिए स्पॉन्सर किया। सुनील अमेरिका तो पहुंच गए, लेकिन यहां कोई नौकरी नहीं मिली। उन्हें मुश्किल से रेस्टन के एक रेस्त्रां में कुक (रसोइया) का काम मिला।
सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी की, पिज्जा डिलीवरी बॉय भी बने
साल
1999 में सुनील ने 39 साल की उम्र में कंप्यूटर इंफॉर्मेशन सिस्टम से
मास्टर्स किया। फिर उन्हें एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी मिली, लेकिन मंदी
के चलते उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। फिर सुनील ने खुद का पिज्जा
बिजनेस शुरू करने का सोचा, लेकिन इसके लिए उनके पास पैसे नहीं थे। लिहाजा,
उन्होंने पिज्जा डिलीवरी का काम किया।
आज पापा जॉन पिज्जा की 38 फ्रेंचाइजी के मालिक
करीब
3 साल तक ये काम करने के बाद उन्होंने 2 लाख डॉलर कमाए। साल 2002 में
सुनील ने पापा जॉन पिज्जा फ्रेंचाइजी खरीदी। अब वे पापा जॉन की 38
फ्रेंचाइजी और 8 ट्रॉपिकल स्मूदी कैफे फ्रेंचाइजी के मालिक हैं। उनके मातहत
700 कर्मचारी काम करते हैं। सुनील बताते हैं कि मैं भारतीय समुदाय के
कार्यक्रमों में मुफ्त में पिज्जा बांटता हूं, इसलिए मुझे लोग प्यार से
पिज्जा किंग कहते हैं।
अपना बिजनेस शुरू करने के लिए कभी लोन न लें
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साल के सुनील सिंह ने कहा कि बिजनेस करने वालों को यही सलाह है कि लोन न
लें। कर्ज लें भी तो जल्द से जल्द चुकाएं। कोई काम बड़ा या छोटा नहीं होता।
हर काम के लिए तैयार रहें। मैंने पिज्जा डिलीवरी तक का काम किया है। बिजनेस
तभी शुरू करें, जब प्लान तैयार हो।