विशेष संवाददाता, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि तमाम राज्यों को निर्देश दिया जाए कि वह महिला स्टूडेंट्स और वर्किंग महिलाओं को पीरियड्स (माहवारी) के दौरान छुट्टी दें। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यह मामला सरकार के नीति के तहत आता है। ऐसे में याचिकाकर्ता महिला और बाल विकास मंत्रालय के सामने रिप्रजेंटेशन दे सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और हम इसे डील नहीं करेंगे। चूंकि यह मामला नीतिगत है ऐसे में यह उचित होगा कि याचिकाकर्ता इस मामले में केंद्र सरकार के महिला और बाल विकास मंत्रालय को अप्रोच करें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने जो मुद्दा उठाया है वह अहम है लेकिन चूंकि यह मामला नीतिगत है ऐसे में हम इस मामले को नहीं देख सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा गया था कि महिलाओं को महावारी के समय छुट्टी दिया जाए। शीर्ष अदालत में एडवोकेट शैलेंद्र मणी त्रिपाठी की ओर से याचिका दायर की गई थी और कहा गया था कि महिला स्टूडेंट्स और कामकाजी महिलाओं को महावारी के वक्त छुट्टी दिया जाना चाहिए। याचिका में यह भी कहा गया था कि कई राज्य भी महावारी छुट्टी देती है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि महिलाओं को इससे वंचित करना उनके समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। महिलाएं भारत की नागरिक हैं और उन्हें समान अधिकार मिले हुए हैं।
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