संसद के शीतकालीन सत्र में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने सेम सेक्स मैरिज पर विरोध जताया है। उन्होंने इसे समाज के लिए घातक और भारतीय संस्कृति के लिए नुकसान बताया है। सुशील मोदी ने तर्क दिया है कि इससे समाज का स्वरूप खराब होगा, समाज का ताना-बाना बिगड़ेगा। इसलिए ऐसे कानून को भारत में नहीं लाना चाहिए।
मामले पर दैनिक भास्कर ने सुशील मोदी से बातचीत की। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने से ही होमो सेक्स को अपराध माना जाता था। सुप्रीम कोर्ट ने होमो सेक्स को बहाल कर दिया जिसमें दो पुरुष आपस में या फिर दो स्त्री आपस में संबंध बनाते हैं तो वह अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।
पहले पुलिस तंग करती थी, पकड़ती थी। एक तरह से उन्हें साथ रहने की अनुमति मिल गई। अब उनकी मांग है कि उन्हें वैवाहिक मान्यता मिल जाए। मैंने इसी बात का विरोध किया है।
भारतीय संस्कृति इस कानून से होगी प्रभावित
सुशील मोदी ने कहा, ‘मैंने इसके बारे में यह तर्क दिया है कि इसमें भारतीय परंपरा, यहां की रीति रिवाज, यहां की संस्कृति प्रभावित होगी। विवाह का मतलब स्त्री और पुरुष का होता है।
एक पुरुष और एक स्त्री की शादी होती है। विवाह दो पुरुषों के बीच में नहीं होता है। हर धर्म में, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई एक स्त्री और एक पुरुष का ही विवाह होता है। किसी भी धर्म में सेम सेक्स मैरिज का कोई प्रावधान नहीं है।’
भारत में ऐसे कानून को मान्यता नहीं मिलनी चाहिए
उन्होंने कहा कि 30 देशों ने इसे मान्यता दे दी। अमेरिका में पिछले सप्ताह में बिल पास हुआ है, इसे मान्यता देने का। एशियाई देश में केवल ताइवान ने इसे मान्यता दी है। भारत में तरह का कोई कानून नहीं बनना चाहिए। सरकार यदि इसका विरोध कर रही है तो कोर्ट में भी सरकार को इसका विरोध करना चाहिए।
सेम सेक्स मैरिज को कोई मान्यता नहीं देना चाहिए। यदि इस तरह का विवाह होगा तो परिवार का क्या होगा। बच्चों का क्या होगा। ऐसे मामलों में डोमेस्टिक वायलेंस का क्या होगा। यदि कोई पुरुष स्त्री पर वायलेंस करता है तो उसके लिए क्या प्रावधान होगा, लेकिन ऐसे में जब पुरुष पुरुष विवाह कर लेंगे तो उसका क्या होगा।