अफगानिस्तान में लड़कियों को यूनिवर्सिटी में पढ़ने से रोकने के तालिबानी आदेश के बाद वहां बुधवार को कई जगहों पर प्रदर्शन हुए। सबसे ज्यादा छात्र कंधार और जलालाबाद विश्व विद्यालय के बाहर जुटे। एक छात्रा ने तो आत्महत्या भी कर ली। जलालाबाद में मेडिकल छात्रों ने परीक्षा के पर्चे फाड़े और नारे लगाए, ‘या तो सभी या कोई नहीं’।
छात्रों का कहना है कि तालिबान ने आश्वासन के बावजूद लड़कियों के अधिकार छीन लिए। 3 महीने में विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा भी होनी है। अफगानिस्तान विमेंस यूनिटी एंड सॉलिडेरिटी ग्रुप की महिलाओं ने काबुल में प्रदर्शन किया। तालिबान ने बल प्रयोग कर उनको हटा दिया और सफाई दी कि सही माहौल बनने पर फिर पढ़ाई शुरू की जाएगी। अफगानिस्तान के निर्वासित सांसद नाहिद फरीद ने कहा, यह अफगान महिलाओं के लिए बुरे सपने जैसा है।
20 साल में जो मिला, वो सब छिन गया
अफगान महिला अधिकार कार्यकर्ता खदीजा अहमदी ने कहा, महिलाओं को पिछले 20 साल में जो अधिकार मिले थे, वे सारे छीन लिए गए। महिला कर्मचारियों को पहले ही हटाया जा चुका है। अफगान शिक्षाविद् अहमद फरहाद ने कहा, तालिबान को डर है कि महिलाएं पढ़ गईं तो उनकी कट्टरपंथी विचारधारा का विरोध करेंगी।
तालिबान के फैसले पर दुनिया चिंतित
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस फैसले की कड़ी निंदा की गई है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा, यह महिलाओं को अफगान समाज से मिटाने की साजिश है। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा, तालिबान जब तक लोगों के अधिकारों का सम्मान नहीं करेगा, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का सदस्य नहीं बन सकेगा। इस्लामिक सहयोग संगठन ने भी इस फैसले की निंदा करते हुए फैसला बदलने की चेतावनी दी है