मनुष्य सामाजिक प्राणी है, लेकिन कई बार रिजेक्ट होने के डर से अजनबियों से बात करने से कतराते हैं। हाल ही में हुई रिसर्च के मुताबिक सामाजिक संपर्क काफी जरूरी है और इसका हमारे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है।
सोशल रूप से सक्रिय लोग ज्यादा खुश रहते हैं, उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है। अकेलापन महसूस नहीं होता है और वे लोगों से जुड़ाव महसूस करते हैं।
अजनबियों से बात करने पर आई किताब
जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल सोशल साइकोलॉजी के मुताबिक, सामने से पहल होने पर अधिकांश लोग किसी अजनबी से बात करने पर खुश होते हैं। उपन्यास ‘टॉकिंग टू स्ट्रेंजर्स’ के लेखक एम सैंडस्ट्रॉम ने बताया कि अजनबियों से बात करने के डर को कम करने के लिए उन्होंने किताब लिखी है।
शोधकर्ताओं ने दो यूनिवर्सिटीज के कुछ प्रतिभागियों के लिए एक स्कैवेंजर हंट प्रतियोगिता का आयोजन किया। इसमें प्रतिभागियों को 29 टास्क दिए गए। उन्हें दी गई डिटेल्स से मैच होने वाले एक अजनबी के साथ बात करनी थी। वहीं कुछ लोगों को सिर्फ अजनबियों को ऑब्जर्व करने को कहा गया। हर टास्क पूरा होने पर पॉइंट्स दिए गए।
बात करने के 1 हफ्ते बाद लोग कम झिझकने लगे
प्रतियोगिता की शुरुआत और आखिर में प्रतिभागियों से एक सर्वे फॉर्म भी भरवाया गया। सर्वे के रिजल्ट से साबित हुआ कि अजनबियों से बात करने पर करीब 1 हफ्ते तक लोगों की अलग-अलग चीजों और परिस्थितियों के प्रति भावना बदल गई। साथ ही इससे लोग अजनबियों से बात करने के दौरान कम झिझकने लगे और उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ा। वहीं अजनबियों को ऑब्जर्व कर रहे लोगों में भी कुछ हद तक बदलाव पाए गए।
लोगों को आगे की बातचीत के लिए नए विषय मिलते हैं
सर्वे के रिजल्ट से साबित हुआ कि अजनबियों से बात करने का बार-बार अनुभव अजनबियों से बात करने के बारे में लोगों के डर को कम कर सकता है। साथ ही इससे लोगों को आगे की बातचीत के लिए नए विषय भी मिलते हैं।