केतार (गढ़वा)। छठी मइया की महिमा अपरंपार है। छठी मइया व्रतियों की मन्नत पूरा करती हैं। गढ़वा जिले के केतार प्रखंड के मुकुंदपुर में सूर्यनारायण वन मंदिर परिसर में छठ पूजा की तो अलग ही लोक मान्यता है। यह सूर्यनारायण मंदिर पुत्र प्राप्ति के लिए जाना जाता है।
कई राज्यों से छठ व्रती यहां आते हैं। प्रसाद स्वरूप यहां की मिट्टी खाने की परंपरा हा। इससे पुत्र की प्राप्ति होती है। हर साल छठ महापर्व के दिन किसी न किसी श्रद्धालु को परिसर में पुत्र की प्राप्ति होती है। छठ के समय यहां श्रद्धालुओं की झारखंड सहित पड़ोसी राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य कई प्रदेशों का आना होता है।
यह है इतिहास
सूर्य नारायण वन मंदिर की रहस्यमयी कहानी है। बताया जाता है कि सूर्य भगवान की स्थापना आज से सैकड़ों वर्ष पहले मुकुंदपुर गांव के बगल के गांव सिंहपुर में श्री कृष्णानंद ब्रम्हचारी जी द्वारा यज्ञ किया जा रहा था। रात्रि में ब्रम्हचारी जी को स्वप्न आया। सुबह होते ही यज्ञ कमेटी के साथ ब्रम्हचारी जी मुकुंदपुर गांव के भुतगड़वा पहुंचे।
यहां ब्रम्हचारी जी के नेतृत्व में भुतगड़वा जल कुंड मे खुदाई शुरू की गई। इस क्रम में लगभग तीन से चार फीट गहराई के अन्दर एक अनोखा लाली चमत्कार गोलाकार भगवान सूर्य की आकृति जैसी बड़ा सा पत्थर पर निशान मिला, जो अद्भुत था।
ये हैं विशेषता
ब्रम्हचारी जी के निर्देश के अनुसार, उसी दिन वही जल कुंड के पास में ही एक मंदिर की स्थापना कर अद्भुत पत्थर को स्थापित किया गया। पत्थर की खासियत यह है कि उसमें सूर्य भगवान की प्रतिमा दिखाई देती है। लोग पुत्र प्राप्ति के लिए छठ व्रत रखकर यहां की मिट्टी को प्रसाद के रूप में खाते है और मन्नत पूरी होने पर छठ महापर्व आकर करते है।
वर्तमान समय में सूर्य नारायण वन को भव्य रूप दिया गया है। 1995 में सूर्य नारायण वन कमेटी का गठन किया गया। कर एवं दान सेवा द्वारा भव्य भास्कर का मंदिर बनाया गया है। उसी समय से प्रत्येक साल चैत एवं कार्तिक में माह में छठ व्रत किया जाता है।
सूर्य नारायण मंदिर निर्माण कमिटी के अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने बताया कि इस बार छठ व्रतियों को बैठने के लिए अलग-अलग थाला सहित स्नानघर, पार्किंग, लाइट, सुरक्षा और चिकित्सा की व्यवस्था की जा रही है। मंदिर निर्माण कमेटी द्वारा सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा रहे हैं।
इन लोगों को पुत्र रत्नी की हुई प्राप्ति
जानकारी के अनुसार, सूर्य नारायण वन में 2021 में श्रीबंशीधर नगर के अधौरा निवासी पूनम देवी, पति हरीश पासवान को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई थी।
वहीं, 2020 में मध्य प्रदेश के सिंगरौली निवासी बुचु देवी पति नवलेश कुमार, चाईबासा निवासी लक्ष्मी देवी पति आशीष राम, रामपुर गिरिडीह निवासी रेणु तिवारी पति रामाशंकर तिवारी, छत्तीसगढ के कोरबा निवासी ममता देवी पति बुल्लू कुमार, कुदरा बिहार निवासी चांदनी देवी पति संतोष कुमार को भी छठ महापर्व पर पुत्र रत्न की प्राप्ति हो चुकी हैं।
यहां प्रसव के लिए स्वास्थ्य विभाग हमेशा तत्पर रहती है। स्थानीय स्तर पर एएनएम एवं स्वास्थ्य सहिया द्वारा सामान्य प्रसव कराया जा चुका है। यही कारण है कि यहां के सूर्यनारायण वन मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है।