नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चिंता जाहिर की है। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को शहरी क्षेत्रों की तरह समान स्वास्थ्य सुविधाओं का अधिकार है। कोर्ट ने कहा, सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच बढ़ाने के लिए बाध्य है, ग्रामीण आबादी की देखभाल के लिए योग्य डॉक्टरों की नियुक्ति की जानी चाहिए। जस्टिस जस्टिस बी.आर. गवई और बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने में ग्रामीण और शहरी आबादी के बीच भेदभाव नहीं होना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 और उसके तहत बनाए गए नियमों और विनियमों के मद्देनजर, असम अधिनियम को अमान्य घोषित किया गया है, असम विधानमंडल के पास उक्त कानून को लागू करने के लिए विधायी क्षमता नहीं है।’