मध्यप्रदेश विधानसभा में शुक्रवार को सदन की मर्यादा टुकड़े-टुकड़े हो गई। संसदीय कार्यवाही जैसे ही शुरू हुई, कांग्रेस प्रश्न काल में ही विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग पर अड़ गई। हालांकि प्रस्ताव अभी विधानसभा के प्रमुख सचिव के पास ही पहुंचा है। ये सदन में पेश नहीं हुआ है। इसी दौरान संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा सदन की नियमावली किताब हाथ में लेकर विपक्षी विधायकों को समझाने लगे। तभी किताब उनके हाथ से छटककर चार-पांच फीट दूर विधानसभा अफसरों की सेंटर टेबल पर जा गिरी।
इसी बात पर आक्रोशित कांग्रेसियों ने आरोप लगाया कि नरोत्तम ने नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह पर किताब फेंकी। कांग्रेस ने इसे संविधान का अपमान बताया और नरोत्तम के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस देते हुए निलंबन की मांग कर दी। तभी नरोत्तम ने सफाई दी। बोले- वे नेता प्रतिपक्ष और उनके बीच आए कर्मचारी को हटा रहे थे, तभी किताब हाथ से छूटी। 12 मिनट हंगामा चला और सदन स्थगित कर दी गई। थोड़ी देर बाद जब सदन बैठी तो कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने उसी नियमावली को सबके सामने फाड़ दिया। बोले- जब सदन नियमों से चल ही नहीं रहा है तो इसका क्या काम?
हमारे विधायक जीतू पटवारी को बिना वजह निलंबित किया। जबकि नरोत्तम का आचरण तो संसदीय मर्यादा के खिलाफ है, उन्हें निलंबित करना चाहिए। इसके बाद स्पीकर ने कार्यवाही 13 फरवरी तक के लिए स्थगित कर दी। इधर, देरशाम भाजपा विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें तय हुआ कि कांग्रेस विधायक विजयलक्ष्मी साधौ और सज्जन सिंह वर्मा के खिलाफ सदन में विशेषाधिकार हनन का नोटिस लाएगी। उधर, स्पीकर ने कहा है कि हंगामे के वीडियो फुटेज निकलवाकर उनकी जांच करेंगे और गलती पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
स्पीकर बोले- जब प्रस्ताव आएगा, तब देखूंगा, लेकिन विपक्ष नहीं माना
नेता प्रतिपक्ष ने जब अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराने का नोटिस दिया तो स्पीकर गिरीश गौतम ने कहा कि पहले प्रश्नकाल हो जाए, उसके बाद देखेंगे। लेकिन विपक्ष अपनी मांग पर अड़ा रहा। इस पर संसदीय कार्यमंत्री ने विधानसभा नियम संचालन प्रक्रिया की किताब के हवाले से बताने लगे कि नियमों के हिसाब से इस पर 14 दिन का समय है, लेकिन गोविंद नहीं माने तो नरोत्तम जोर-जोर से बोलने लगे। इसी दौरान किताब हाथ से छूट गई। इस पर विपक्ष हमलावर हो गया।
इतिहास गवाह है… 67 साल में सिर्फ चार अविश्वास प्रस्ताव आए
1956 से लेकर अब तक मप्र विस में स्पीकर के खिलाफ 5 अविश्वास प्रस्ताव आए हैं। 4 बार भाजपा लाई।
- 1965 - स्पीकर कुंजीलाल दुबे के खिलाफ प्रस्ताव आया, लेकिन ये बाद में वापस हुआ।
- 1970 - काशीनाथ पांडे के खिलाफ आया। ये भी वापस।
- 1980 - रामकिशोर शुक्ल के खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा हुई, ये प्रस्ताव बाद में गिर गया।
- 1986 – राजेंद्र शुक्ल को हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव की सूचना दी गई, लेकिन ये वापस हो गया।