केंद्र सरकार सुप्रीम काेर्ट और हाईकाेर्ट के जजाें की रिटायर हाेने की उम्र सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। हालांकि न्याय विभाग ने संसदीय समिति से कहा है कि जजाें की सेवानिवृत्ति की उम्र बढ़ाने से काम नहीं करने वाले जजाें की सेवा अवधि भी बढ़ेगी। साथ ही अन्य विभागाें के सरकारी कर्मचारी भी इसी तरह की मांग कर सकते हैं। इसका बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
न्याय विभाग ने कार्मिक, कानून और न्याय पर संसदीय समिति में यह भी कहा है कि सुप्रीम काेर्ट और हाईकाेर्ट में नियुक्तियों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपायों के साथ-साथ जजाें के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने पर भी विचार किया जाएगा।
भाजपा सांसद सुशील मोदी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति से न्याय विभाग ने कहा कि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने से जजाें काे ट्रिब्यूनल में काम करने का माैका नहीं मिलेगा।
जिला व अधीनस्थ कोर्ट में 5,850 पद खाली
- देशभर में जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में 25,042 पदों में से जजाें के 5,850 पद खाली हैं।
- सभी 25 हाईकोर्ट में 1108 जज के पद में 775 जज हैं। 333 पद खाली हैं।
- सुप्रीम कोर्ट में स्वीकृत 34 पदों में से छह पद रिक्त।
खाली पड़े पद भरने बढ़ सकती है रिटायरमेंट एज
हालांकि जिला और अन्य अदालताें में जजाें के खाली पदाें काे भरने के लिए रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है। इससे पहले जुलाई में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि जजों के रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सुप्रीम काेर्ट के जजाें की रिटायरमेंट की उम्र 65 और हाई काेर्ट के जजाें के रिटायर हाेने की उम्र 62 साल है।
न्यायिक प्रक्रिया में सुधार पर मांगी थी राय
संसदीय समिति सुप्रीम काेर्ट और हाई काेर्ट के जजाें के रिटायर होने की उम्र सीमा बढ़ाने की संभावनाओं समेत न्यायिक प्रक्रिया में सुधाराें पर सरकार का पक्ष सुन रहा था। बार काउंसिल ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।