बरौनी (बेगूसराय)। इस वर्ष का अंतिम चंद्र ग्रहण शारदीय पूर्णमासी अर्थात 28-29 अक्टूबर की रात्रि में लगने जा रहा है। संपूर्ण मिथिला क्षेत्र में ग्रहण का प्रारंभ मध्य रात्रि 1:07 से होगा। ग्रहण का मध्य 1:46 तथा ग्रहण की समाप्ति रात्रि शेष 2:25 में होगी।
ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि यह ग्रहण संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका एवं हिंद महासागरीय देश के अलावा दक्षिणी अमेरिका के उत्तर पूर्वी भाग तथा उत्तरी अमेरिका के उत्तर पूर्वी भाग में दिखाई देगा।
उन्होंने बताया कि धर्म शास्त्रों के अनुसार, चंद्र ग्रहण से नौ घंटे पहले सूतक प्रारंभ हो जाता है। सूतक में भोजन करना देवताओं की मूर्ति को स्पर्श करना आदि वर्जित है।
गर्भवती स्त्रियों के लिए सलाह
गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण काल एवं सूतक काल में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। इसका प्रभाव गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक होता है। ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष के विभिन्न ग्रन्थों में अलग-अलग समय में लगने वाले सूर्य एवं चंद्र ग्रहण का संसार के अलग-अलग भागों में रहने वाले लोगों पर हानि-लाभ आदि के फल प्राप्त होते हैं।
कई राशियों पर चंद्र ग्रहण का पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
कई दशकों बाद शनिवार की मध्य रात्रि में चंद्र ग्रहण लगेगा, जो भारत में स्पष्ट रूप में दिखेगा। हालांकि शनिवार को ही शरद पूर्णिमा भी है। इसलिए इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव कई राशियों पर सकारात्मक तो कई राशियों पर नकारात्मक पड़ने की संभावना ज्योतिषाचार्य व्यक्त कर रहे हैं।
मिथुन, तुला, कुंभ, सिंह, धनु आदि राशियों पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। चंद्र ग्रहण के सूतक काल में सभी मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। इस सूतक काल में घर में भी पूजा पाठ करने की शास्त्रों में मनाही है।
ज्योतिषाचार्य राघवेंद्र जी उर्फ हीरा झा ने शनिवार के चंद्र ग्रहण के संबंध में बताया कि कई दशकों बाद इस चंद्र ग्रहण में काफी अच्छे संयोग हैं। सिर्फ सूतक काल में सावधानी बरतनी चाहिए। सूतक काल में लोहा, नमक आदि नहीं खरीदना चाहिए।
इसके अलावा, सूतक काल में नशा सेवन एवं तामसी भोजन नहीं करनी चाहिए। शनिवार की रात चंद्रगहण काल 1.05 बजे है एवं इसकी समाप्ति 2.23 मिनट पर होगी।
ज्यातिषाचार्य ने आगे बताया कि यह चंद्र ग्रहण संपूर्ण भारत के अलावा कई देशों में दिखेगा। इस ग्रहण का सबसे अधिक नकारात्मक प्रभाव मेष, ऋषभ, कर्क, बृश्चिक एवं मीन राशि के जातकों पर पड़ेगा। उन्हें इससे बचाव के लिए पंडितों के निर्देश के अनुरुप कार्य करनी चाहिए।