इंदौर। खेल गतिविधियों के लिए पहचाने जाने वाले नेहरू स्टेडियम की सूरत इन दिनों बदली हुई है। आम दिनों में भले ही यहां अलसुबह से लेकर रात तक खिलाडियों की चहल-पहल रहती हो, लेकिन इन दिनों यहां एक अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है। स्टेडियम में प्रवेश के सभी गेट बंद हैं। मुख्य गेट पर सख्त पहरा है। बगैर जांच और अनुमति के भीतर प्रवेश संभव नहीं। दरअसल स्टेडियम में बने स्ट्रांग रूम में ईवीएम के रूप में विधानसभा चुनाव में इंदौर जिले से भाग्य आजमाने वाले 92 प्रत्याशियों का भविष्य बंद है। स्ट्रांग रूम के गेट पर लगी सील और प्रत्याशियों के भाग्य का ताला 3 दिसंबर को खुलेगा।
वोटों का गणित लगाने में जुटी पार्टियां
प्रत्याशियों के समर्थक भी दिनभर स्टेडियम के आसपास घूम-घूमकर चौकसी का प्रयास करते हैं, लेकिन स्टेडियम में पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल की चौकसी उन पर भारी है। ईवीएम की सुरक्षा के लिए स्टेडियम में दोहरी सुरक्षा व्यवस्था बनाई गई है। प्रवेश द्वारों के आसपास पुलिस का पहरा है तो भीतर सशस्त्र पुलिस बल ने कमान थामे रखी है। हालांकि राहत की बात यह है कि हर बार के मुकाबले इस बार स्टेडियम मतगणना के दो दिन बाद ही खिलाडियों के लिए उपलब्ध हो सकेगा।
मतदान केंद्रों के बाहर लगी टेबलों का विश्लेषण कर रही पार्टियांदोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल मतदान के बाद से ही हार-जीत का गणित लगाने में जुटे हैं। पार्टियां इस बात का विश्लेषण कर रही हैं कि मतदान केंद्रों के बाहर लगी प्रत्याशियों की किस टेबल पर कितने मतदाता पर्ची बनवाने पहुंचे थे।
कांग्रेस-भाजपा के प्रत्याशियों की बढ़ रही टेंशन
हालांकि निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं के घर तक फोटोयुक्त मतदान पर्ची उपलब्ध कराने और पार्टियों द्वारा मतदान से पहले मतदाताओं के घर तक मतदान पर्ची पहुंचाने की व्यवस्था के बाद मतदान केंद्र के बाहर लगी टेबल से हवा का रुख पहचानने का यह परंपरागत तरीका बहुत कारगर नजर नहीं आता है। हालांकि टेबलों तक पहुंचे मतदाताओं की संख्या के आंकड़े प्रत्याशियों की सांसें जरूर उपर-नीचे कर देते हैं।
महापौर चुनाव में मिले मतों का भी विश्लेषण कर रहीं पार्टियांदोनों राजनीतिक पार्टियों डेढ़ वर्ष पहले हुए नगर निगम के चुनाव के आंकड़ों का भी विश्लेषण कर रही हैं। नगर निगम चुनाव और विधानसभा चुनाव में मुद्दे भले ही अलग-अलग हों, लेकिन जानकारों का मानना है कि इससे मतदाता का रुझान जरूर भांपा जा सकता है। नगर निगम चुनाव में नगर सीमा की सिर्फ एक विधानसभा सीट पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी, शेष पर भाजपा आगे रही थी।
मतगणना के लिए चल रही तैयारी
जिला प्रशासन ने 3 दिसंबर को होने वाली मतगणना के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं। नौ कक्षों में मतगणना की जाएगी। इसके लिए 900 कर्मचारी को अधिकृत किया गया है, जिन्हें प्रशिक्षण दिया जाना है। प्रत्येक कक्ष में 17 टेबलें लगाई जा रही हैं। इनमें से 14 पर ईवीएम के मतों की गणना की जाएगी। शेष तीन टेबलों पर डाक मतपत्र गिने जाएंगे। प्रत्येक टेबल पर अभ्यर्थी का अधिकृत एजेंट मौजूद रह सकेगा। वहीं प्रत्येक मतगणना कक्ष में अभ्यर्थी या उनके द्वारा अधिकृत प्रतिनिधि ही प्रवेश कर सकेगा। कक्ष के भीतर किसी भी तरह की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी नहीं की जा सकेगी।
दोनों पार्टियों ने शुरू किया टेबल एजेंटों का प्रशिक्षण दोनों ही राजनीतिक दलों ने मतगणना के दौरान टेबल पर बैठने वालों के नाम तय कर उन्हें प्रशिक्षित करना शुरू कर दिया है। इन प्रतिनिधियों को समझाया जा रहा है कि कैसे और कहां-कहां गड़बड़ियां होने की आशंका रहती है। किसी भी तरह की गड़बड़ी की आशंका होने पर उन्हें क्या करना है, कहां आपत्ति दर्ज कराना है। कैसे नजर रखना है। जिन टेबलों पर डाक मतपत्रों की गणना होना है वहां किस तरह से नजर रखना है।