थानाध्यक्ष ने खुद खड़ा होकर बंद करवा दी खिड़की ग्रामीणों ने धकेला,गांव में तनाव
थानाध्यक्ष केराकत बोले, खिड़की बंद करवाने के लिए पुलिस अफसर का था दबाव
एसडीएम केराकत के नाक का सवाल, पीड़ित को करवा रहे हैं पुलिस से प्रताड़ित
जौनपुर। जिन अफसरो के पास फरियादियों को न्याय दिलाने का जिम्मा है,यदि वह पीड़ितों को न्याय देने के बजाय उनका गैर कानूनी तरीके से शोषण और उत्पीड़न करने लगे तो न्याय प्रणाली ध्वस्त होने में देर नहीं लगेगी। जी हां ऐसा ही एक मामला केराकत तहसील के एसडीम सुनील भारती का है,जो कानून को बलाए ताक पर रखकर एक पक्ष की गलत तरीके से मदद के लिए दूसरे पक्ष के पीड़ित को केराकत पुलिस से प्रताड़ित करवा रहे हैं। मामला तो अभी यह चल ही रहा था कि शुक्रवार की दोपहर थानाध्यक्ष केराकत संजय सिंह भारी पुलिस बल लेकर मौके पर पहुंचे और खुद मिस्त्री लेबर लगाकर खिड़की को बंद करवा दिया,इससे नाराज ग्रामीणों ने खिड़की को धकेल दिया, जिससे गांव में तनाव व्याप्त हो गया है। आरोप है कि पुलिस ने पूरे परिवार को बंधक बनाकर खिड़की को बंद करवाने का कार्य कर रहे थे। बड़ी बात तो यह है कि एसडीएम आरोपी पक्ष के साथ खुलकर सामने आ गए हैं, इसीलिए तो पीड़ित के हिस्से की जमीन पर बने मकान की खिड़की को बंद कराने के लिए अपने नाक का सवाल बना लिए है। सत्य और असत्य क्या है इससे उनका मतलब नहीं है, बस उनको अपने करीबी व भाजपा नेता की मदद कर के अपनी कुर्सी को सुरक्षित रखना है। बताते चले कि जिले के केराकत तहसील अंतर्गत धरौरा गांव में विजेंद्र दुबे व अनिल दुबे के बीच जो जमीन का विवाद चल रहा है उसका यदि साक्ष्य के आधार पर कोई भी मूल्यांकन कर ले तो एसडीएम के दामन दागदार नजर आएंगे ? वैसे इस मामले में पत्रकार प्रेस क्लब के सैकड़ो पत्रकार पीड़ित विजेंद्र दुबे को न्याय दिलाने के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ प्रदेश के प्रमुख सचिव,डीजीपी,एडीजी,डीएम,एसपी को एक्स पर एसडीएम के गलत करतूत की शिकायत कर कार्रवाई की मांग किया है।
पीड़ित विजेंद्र दुबे का आरोप है कि धरौरा गांव में आराजी नंबर 77 रकबा 48 डि. भूमि में मेरा साढ़े नौ डि.जमीन है,खतौनी में जमीन की नवैयत बाग है,इस जमीन की पैमाईश के लिए लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व एसडीएम केराकत के समक्ष बिजेंद्र दुबे व विपक्षी अनिल दुबे ने धारा 24 के तहत वाद प्रस्तुत किया था,
लेखपाल ने रिपोर्ट दिया था कि उक्त भूमि पर आबादी बस गई है,जिससे जमीन की पैमाईश नही हो सकती है,इसी आधार पर पूर्व एसडीएम ने धारा 24 की कार्यवाई को निरस्त कर दिया। परंतु मामले में वर्तमान एसडीएम केराकत सुनील भारती विपक्षी भाजपा नेता अनिल दुबे के धन बल के प्रभाव में आकर बिजेंद्र दुबे के बने बीस साल पूर्व पक्के मकान में खुले दो खिड़की के मध्य की तीसरी खिड़की को बंद करने के लिए पीड़ित को पुलिस से प्रताड़ित करवा रहे हैं। पीड़ित के साथ प्रत्यक्षदर्शियो की माने तो विजेंद्र दुबे ने अपने मकान का निर्माण करवाते समय खुली खिड़की की तरफ दस फीट की जमीन छोड़े हैं,जिस पर वे लकड़ी व गोबर रखे हैं। आरोप है कि इसी भूमि को एसडीम केराकत सुनील भारती अनिल दुबे का सहन बता कर कब्जा कराने के लिए तीसरी खिड़की को बंद कराने के लिए नाक का सवाल बना लिए है। एसडीम केराकत ने विपक्षी अनिल दुबे के धन बल के प्रभाव में आकर 03 अगस्त 24 को तत्कालीन थाना प्रभारी केराकत दिलीप सिंह को पीड़ित के घर भेज कर दोनो पक्षों को थाने बुलाकर ले गए,जहा सिर्फ बिजेंद्र को रात भर थाने में बैठाने के बाद दूसरे दिन चालान कर दिए,थाना प्रभारी ने बिजेंद्र की पिटाई भी किए थे,इसी दौरान 05 अगस्त 24 को अनिल दुबे की तहरीर पर थाना प्रभारी दिलीप सिंह ने बिजेंद्र दुबे के खिलाफ धारा 131,352,352 (2) के तहत मुकदमा दर्ज कर दिया था,थाना प्रभारी दिलीप सिंह के लाइन हाजिर होने पर 14 अगस्त 24 को थाने से फोन आया कि दोनो पक्षों को एसडीएम केराकत अपने कार्यालय बुलाए है कार्यालय पहुंचने पर एसडीएम सुनील भारती ने बिजेंद्र दुबे के ऊपर दबाव बनाया कि तीसरी खिड़की बंद कर दो, वर्ना 14 दिन के लिए जेल भेज दूंगा,जब बिजेंद्र नही माने तो थाने से एक दरोगा व दो सिपाही कार्यालय बुलाकर दोनो को थाने भेज दिए,शाम तक थाने पर बैठाए रहे फिर इस शर्त के साथ छोड़े कि 16 अगस्त 24 को ,दोनो पक्ष एसडीएम क यहां जाना होगा। वही अनिल दुबे का कहना है कि विजेंद्र दुबे द्वारा जो तीसरी खिड़की खोली गई है वह मेरे सहन की भूमि के सामने है। पुनः एसडीएम के बुलाने पर विजेंद्र दुबे शुक्रवार को उनके कार्यालय पर पहुंचे,जहां विपक्षी नहीं आया था, तो उन्होंने कहा कि मंगलवार को आप लोग फिर आइए।
एसडीम केराकत सुनील भारती का कहना है कि अनिल दुबे के सहन के सामने विजेंद्र दुबे द्वारा जो खिड़की खोली गई है वह गलत है। उसी को बंद करने के लिए विजेंद्र को बार-बार कहा जा रहा है। मेरे ऊपर जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं वह बेबुनियाद है।
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