प्रदेश में 6 दिसंबर से कड़ाके की ठंड का पूर्व अनुमान लगाया गया है। ग्वालियर, जबलपुर में तापमान 6 डिग्री सेल्सियस तक रिकॉर्ड किया जा सकता है। इसके अलावा भोपाल और इंदौर में भी तापमान में गिरावट देखी जाएगी।
मौसम प्रणाली बदलेगी
पाकिस्तान की तरफ से आ रही हवा हिमालय के ऊपर सक्रिय हो रही है। 5 दिसंबर तक इसके सक्रिय होने के साथ ही तापमान में गिरावट का दौर देखा जाएगा। प्रदेश में फिलहाल तापमान 26 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच है। हालांकि 6 दिसंबर के बाद इसमें तेजी से गिरावट देखी जाएगी। हल्की सर्दी भी महसूस की जा सकती है।
मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक हिमालय के ऊपर विक्षोभ निर्मित है। हालांकि हिमालय में फिलहाल बर्फबारी पर रोक लग गई है। जिस कारण से हवा ज्यादा प्रभावित नहीं हो रही है। बर्फबारी शुरू होने के साथ ही मध्यप्रदेश में होगी।
इसके अलावा ला निना की परिस्थिति भी सक्रिय है जिसे सर्दी का असर पड़ा है। नवंबर में मध्य में तापमान 22 साल में सबसे कम रिकॉर्ड किया गया। हालांकि प्रशांत महासागर के समुद्री सतह पर लगातार बदल रहे मौसम प्रणाली का असर मध्यप्रदेश में दिखेगा।
वेस्टर्न डिस्टरबेंस की तीव्रता बढ़ी
हमारे यहां ठंड के लिए सबसे जरूरी माने जाने वाले फैक्टर वेस्टर्न डिस्टरबेंस की तीव्रता पिछले 20 साल में 10% बढ़ गई है। इससे देश के पहाड़ी इलाकों पर बर्फबारी ज्यादा हो रही है। मैदानी इलाकों में ठंड में इजाफा हुआ है। इस कारण अब दिसंबर के दूसरे पखवाड़े से लेकर मार्च के पहले पखवाड़े तक ठंड पड़ने लगी है।
दिन में पारा 30 डिग्री के नीचे आएगा
मध्यप्रदेश में अभी दिन का पारा 26 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है। 6 दिसंबर से यह 26 डिग्री सेल्सियस से कम हो सकता है। ऐसे में दिन भी हल्की सर्दी महसूस हो सकती है। रात का पारा ज्यादा गिरने के कारण रात को अधिक सर्दी महसूस होगी। मौसम विभाग का कहना है कि रात के समय सर्दी में ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए। यही नहीं, सर्दी से बचने के लिए कई सतहों में गर्म कपड़े पहना चाहिए।
इनमें तापमान में भारी गिरावट
अन्य जिलों की बात करें तो सिर्फ नहीं हो नरसिंहपुर में शनिवार को दिन का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है। इसमें 5 फीसद की गिरावट देखने को मिली है जबकि बैतूल धार में भी न्यूनतम तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की कमी आई है। शनिवार को 3 संभागों में तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। जिन जिलों में तापमान में विशेष परिवर्तन देखने को मिला है। उसमें रायसेन के अलावा पचमढ़ी, राजगढ़, नरसिंहपुर, खंडवा, ग्वालियर और उमरिया सहित नौगांव शामिल है।