फरीदाबाद। जिले के गांव महमूदपुर की महिला पशुपालक को अदालत के आदेश के बाद इंश्योरेंस कंपनी ने भैंस के मरने के सात साल बाद भी मुआवजा नहीं दिया। कमलेश ने संयुक्त पुलिस आयुक्त ओपी नरवाल को दी शिकायत में बताया कि उसने अपनी तीन भैंसों का पशुपालन विभाग के कहने पर चार मार्च 2016 को इंश्योरेंस कराया था। बीमा ओरियंटल इंश्योरेंस कंपनी ने किया था।
सितंबर 2016 में एक भैंस ने चारा खाना और पानी पीना छोड़ दिया। भैंस बीमार हो गई और मर गई। तभी पशुपालन विभाग के डाक्टरों को भैंस के मरने के बारे में सूचना दे दी। विभाग के डाक्टरों ने बीमा कंपनी के पास सभी रिपोर्ट और मरी हुई भैंस के फोटो भेज दिए। बीमा कंपनी ने इंश्योरेंस नहीं दिया। जब पता किया तो बीमा कंपनी के अधिकारियों ने पशुपालन विभाग के डाक्टरों द्वारा पॉलिसी का कवर नोट नहीं भेजना बताया, इसलिए बीमा कंपनी ने इंश्योरेंस नहीं भेजा।
अदालत ने मुआवजा देने का दिया था आदेश
इसके बाद कमलेश जब पशुपालन विभाग के डॉक्टरों के पास जाती, तो वे बात नहीं करते। उसने बीमा कंपनी और पशुपालन विभाग के डाक्टरों के खिलाफ अदालत में मामला दायर कर दिया। डॉक्टरों ने बीमा करने का पॉलिसी कवर नोट अदालत को दे दिया। अदालत ने भैंस की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखने के बाद बीमा कंपनी को पशुपालक को मुआवजा देने के आदेश दे दिए। इंश्योरेंस के कवर नोट के अनुसार तब भैंस की कीमत 60 हजार रुपये थी।
कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज
अदालत ने इंश्योरेंस कंपनी को कवर नोट भी दे दिया और 15 दिन में मुआवजा देने के लिए कहा। इंश्योरेंस कंपनी ने नौ जनवरी 2023 को मुआवजा देने से इनकार कर दिया। बीमा कंपनी का कहना है कि ये पॉलिसी भैंस की मृत्यु के बाद कराई गई है। कमलेश ने कहा कि इंश्योरेंस और पशुपालन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के कारण उन्हें मुआवजा नहीं मिला। संयुक्त आयुक्त नरवाल ने थाना छांयसा पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। पुलिस ने धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करके जांच शुरू कर दी है।