आर्टिकल के मुताबिक, दुनिया की जनसंख्या में सबसे बड़ी वृद्धि 1960 के दशक की शुरुआत में हुई थी, लेकिन फिर जनसंख्या दर धीमी हो गई है।
कम तेजी से क्यों बढ़ रही आबादी
रिपोर्ट कहती है कि गर्भनिरोधक की अधिक उपलब्धता के साथ प्रजनन
स्तर में कमी आई। जैसे-जैसे देशों ने अपनी अर्थव्यवस्थाओं का विकास किया
है। शिक्षा के बढ़े हुए स्तर, विशेष रूप से महिलाओं के लिए अधिक रोजगार के
अवसर कम तेजी से बढ़ रही आबादी के प्रमुख कारणों में से एक हैं।
औसत उम्र में हो रही बढ़ोत्तरी
बढ़ती जनसंख्या का एक कारण यह भी है कि हम अधिक समय तक जिंदा रहे हैं। 2019
में व्यक्ति की औसत उम्र 72 वर्ष थी। 2050 तक इसके 77 तक पहुंचने की
उम्मीद है। कोरोना महामारी के कारण 2021 में औसत 71 वर्ष तक गिर गई थी।
हालांकि, कम विकसित देशों में, उच्च मातृ और बाल मृत्यु दर, संघर्ष और
एचआईवी संक्रमण के कारण लोग औसत से सात साल कम जी रहे हैं।
1950 के बाद जन्म दर में कमी
रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला औसतन 1950 की तुलना में पांच बच्चों
के बजाय दो बच्चों को जन्म देना ज्यादा पसंद कर रही हैं। हालांकि, आंकड़े
अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न हैं। उप-सहारा अफ्रीका में एक महिला औसतन चार
बच्चों को जन्म दे रही हैं। जबकि ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को छोड़कर
ओशिनिया में एक महिला औसतन तीन बच्चों को जन्म दे रही है।
2050 तक बढ़ेगी भारत की आबादी, चीन की घटेगी
दुनिया के आधे से अधिक लोग एशिया में रहते हैं। पूर्व और दक्षिण-पूर्व
एशिया में 29% और मध्य और दक्षिण एशिया में 26%। रिपोर्ट ने अगले
साल, भारत दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन को पीछे छोड़ देगा। भारत
2050 तक अपनी जनसंख्या में वृद्धि करेगा। इससे उलट चीन की जनसंख्या में
गिरावट जारी रहेगी।
युवाओं की संख्या घटेगी, बढ़ेंगे बुजुर्ग
रिपोर्ट बताती है कि आने वाले वर्षों में उच्च आय वाले देशों में
जनसंख्या के घटने की उम्मीद है। यही नहीं 2050 तक 65 या उससे अधिक उम्र की
वैश्विक आबादी का हिस्सा 10% से बढ़कर 16% हो जाएगा।