उत्तर प्रदेश: अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हम सभी नए साल 2025 में प्रवेश करने जा रहे हैं. लेकिन यूपी के सियासी गलियारों में इस साल जिसका सबसे ज्यादा सोर रहा वह है लोकसभा और उपचुनाव के परिणाम. इस बीच तमाम ऐसे समीकरण बने, कई घटनाएं हुई जिसे सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा.इतना ही नहीं दोनों चुनाव के परिणाम ने सुबह के सियासत को नई मोड़ परलाकर खड़ा कर दिया.यह परिणाम पार्टियों को सीख भी दे गया.उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2024 का साल काफी महत्वपूर्ण और घटनाक्रम से भरा रहा. लोकसभा चुनाव 2024 की परिणामों ने यूपी में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका दिया.2014 में 73 और 2019 में 64 सीटें जीतने वाले भाजपा और उसके घटक दलों के खाते में प्रदेश के 80 सीटों में से केवल 36 सीटें आई.जबकि इंडी गठबंधन ने बेहतर प्रदर्शन करते हुए 43 सींटे अपने कब्जे में की. इतना ही नहीं बीजेपी को सबसे बड़ा झटका तो अयोध्या के सीट पर लगा.जी राम मंदिर को भाजपा अपनी चुनाव में मुद्दा बना रही थी, जो राम मंदिर शुरुआत से ही भाजपा के एजेंडे में रहा.भाजपा को पूरी उम्मीद थी कि राम मंदिर बनने के बाद चुनाव परिणाम एक तरफा होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. राम के घर में ही राम भक्त हार गए.फैजाबाद (अयोध्या) के सीट पर कमल नहीं खिल सका. हालांकि मेरठ में लोगों ने भाजपा की लाज रख ली.यहां पर उन्हें श्री राम का आशीर्वाद मिला, क्योंकि यहां से रामायण के राम यानी अरुण गोविल नेजीत दर्ज की.अमेठी लोकसभा सीट से जो कांग्रेस की गढ़ मानी जाती रही है 2019 में भाजपा के स्मृति ईरानी के हाथों हारने के बाद 2024 में कांग्रेस के लिए एक बड़ी जीत लेकर आई.कांग्रेस का उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा ने भाजपा की स्मृति ईरानी को 167 256 ऑटो के बड़े अंतराल से हराया.इससे अमेठी सीट पर कांग्रेस की दमदार वापसी हुई.सपा लोकसभा चुनाव 2024 में पीडी ए यानी पिछड़ा,दलित अल्पसंख्यक के फॉर्मूले को लेकर चल रही थी. इसी नीति के साथ पार्टी आगे बढ़ी.जो हिट भी साबित हुआ.सपा ने लोकसभा चुनाव में 37 सीटों पर कब्जा जमा लिया. सपा के इस पीडीए फैक्टर ने लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.सूबे की सियासत में मान- मनोअल और गठजोड़ का भी दौड़ चला.सपा और कांग्रेस ने साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा.अखिलेश यादव और राहुल गांधी की जोड़ी जोड़ी ने प्रदेश से 43 सांसद लोकसभा में भेज दिए.लोकसभा चुनाव के बाद प्रदेश में उपचुनाव की बारी आई.बीजेपी और राष्ट्रीय दल मिलकर प्रदेश की 9 सीटों में से 6 सीटों पर कब्जा करके सपा और कांग्रेस से लोकसभा का बदला लिया,वहीं एक सीट पर रालोद की जीत हुई और दो सीटों पर सपा ने मात दी.कुंदरकी विधानसभा सीट के उपचुनाव के परिणामों ने यूपी की राजनीति में एक नया मोड़ दिया.मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद भाजपा उम्मीदवार रामवीर सिंह सपा के मुहम्मद रिजवान को हरा कर बड़ी जीत दर्ज की. यूपी की राजनीति का महत्वपूर्ण चेहरा रही सूबे की चार बार की मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती इन चावन मे परिणाम के मामले में जुदा नजर आई.