नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में अमृत काल यानी इंडिया@100 का ब्लूप्रिंट पेश किया है। अमृत काल के इस विजन में एक ओर आधुनिक तकनीक, ग्रीन ग्रोथ (अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा), डिजिटल और फिजिकल इन्फ्रास्ट्रक्चर, मॉडर्न सिटीज और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस को रखा गया है तो दूसरी ओर हैंडिक्राफ्ट्स और मिलेट्स (मोटे अनाज) में देश को मजबूत बनाने के उपाय किए गए हैं। ये ऐसे क्षेत्र हैं, जिनमें देश पारंपरिक रूप से अच्छा करता आया है। बजट में जो ग्रोथ का रास्ता दिया गया है, उसमें भारत की क्षेत्रीयता और डेमोग्राफिक डायवर्सिटी को भी शामिल किया गया है। बजट में युवा शक्ति का लाभ उठाने और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने की भी बात है। इसमें यह भी कोशिश की गई है कि देश की तरक्की का लाभ सबको मिले।
सुस्त पड़ती ग्रोथ को मिलेगी रफ्तार
पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश पर फोकस करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने धीमी पड़ती ग्लोबल ग्रोथ के बीच ना सिर्फ सुस्त पड़ती डिमांड को बढ़ाने की पहल की है बल्कि वह रास्ता भी दिखाया है, जिससे भारत विकसित अर्थव्यवस्था बनेगा। बजट प्रस्तावों से पता चलता है कि सरकार का ध्यान इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट पर बना रहेगा, जिससे निजी क्षेत्र की ओर से निवेश बढ़ने का माहौल बनेगा।
कैपिटल इन्वेस्टमेंट 33 फीसदी बढ़ाया
सरकार ने अगले वित्त वर्ष में कैपिटल इन्वेस्टमेंट को 33 फीसदी बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव रखा है, जबकि कुल कैपिटल एक्सपेंडिचर 13.7 लाख करोड़ का होगा। इससे खपत बढ़ने और निजी क्षेत्र की ओर से निवेश में बढ़ोतरी की उम्मीद है। सरकार की ओर से इतने बड़े पैमाने पर निवेश बढ़ाने से रोजगार के और मौके बनेंगे।
ब्याज दरों को कम करने में मिलेगी मदद
ध्यान रहे कि कैपिटल एक्सपेंडिचर में जबरदस्त बढ़ोतरी के बावजूद राजकोषीय घाटे और ब्याज दरों को कम रखने में मदद मिलेगी क्योंकि रेवेन्यू एक्सपेंडिचर में सिर्फ 1.2 फीसदी की बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया गया है। अभी ब्याज दरें ऊंचे स्तर पर हैं, इसलिए यह बहुत ही अहम बात है। इससे इकॉनमी को कई स्तरों पर लाभ मिलेगा।
निजी क्षेत्र के लिए निवेश के मौके
इसके अलावा, इन्फ्रास्ट्रक्चर में निजी क्षेत्र के लिए निवेश के मौकों के साथ MSME को भी राहत दी गई है। इसके साथ कंपनियों के लिए कंप्लायंस की लागत कम करने के कदम भी उठाए गए हैं। पीएम मोदी ने ‘LiFE’ यानी लाइफस्टाइल फॉर एन्वायरमेंट यानी पर्यावरण की खातिर जीवनशैली का विजन दिया है। इससे ग्रीन ग्रोथ के अजेंडा को बढ़ावा मिलेगा। इसी के तहत सरकार ने नैशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को 19,700 करोड़ रुपये देने की बात कही है। इससे पेट्रोल-डीजल जैसे ईंधन पर निर्भरता घटेगी और कच्चे तेल के आयात में भी कमी आने की उम्मीद है। ग्रीन एनर्जी को अपनाने और नेट जीरो कार्बन एमिशन के लक्ष्य हासिल करने के लिए बजट में और 35,000 करोड़ रुपये देने का प्रस्ताव किया गया है।
समावेशी विकास को प्राथमिकता
बजट में इन्क्लूसिव डिवेलपमेंट यानी समावेशी विकास को प्राथमिकता में काफी ऊपर रखा गया है। इसमें किसानों, महिलाओं, युवाओं और सामाजिक और क्षेत्रीय रूप से पिछड़े इलाकों पर ध्यान दिया गया है। भविष्य के तकनीकी बदलावों को ध्यान में रखते हुए और भारत को दुनिया की बड़ी शक्ति बनाने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के लिए तीन सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस बनाने की बात कही गई है। इसके लिए शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों और बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी की जाएगी। यह भी कहा गया है कि स्टार्टअप्स और एकेडमिक जगत में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए नैशनल डेटा गवर्नेंस पॉलिसी के तहत उन्हें डेटा तक पहुंच दी जाएगी।
बनाया है सही संतुलन
इस बजट में लंबी और छोटी अवधि के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए सही संतुलन बनाया गया है। वहीं, ग्रोथ के साथ उसका फायदा सब तक पहुंचाने की कोशिश दिखती है। निवेश और खपत को बढ़ावा देने का भी प्रयास दिखता है। इस बजट से आर्थिक विकास दर तेज तो होगी ही, बल्कि ना सिर्फ वित्त वर्ष 2023 बल्कि आने वाले वर्षों में भी समृद्धि आएगी।