नई दिल्ली: आज यानी 19 नवंबर 2022 को विश्व शौचालय दिवस (World Toilet Day 2022) है। वर्ल्ड टॉयलेट डे (World Toilet Day) की स्थापना सिंगापुर के जैक सिम द्वारा 19 नवंबर 2001 में की गई थी। जैक से 2001 में डब्ल्यूटीओ यानी वर्ल्ड टॉयलेट ऑर्गनाइजेशन (World Toilet Organisation) की स्थापना की थी। हालांकि, 2013 में संयुक्त राष्ट्र संगठन द्वारा ऑफिशियल तौर पर संयुक्त राष्ट्र विश्व शौचालय दिवस की घोषणा की गई। वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों को खुले में शौच करने से रोकना और शौचालय (Toilet) से जुड़े मानव अधिकार को हर व्यक्ति तक पहुंचाना है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, देश में अब तक 100 मिलियन से ज्यादा शौचालय बनवाए जा चुके हैं। लेकिन क्या आपको दुनिया के सबसे महंगे शौचालय (World Most Expensive Toilet) के बारे में पता है। ये कहां पर है और इसे (World Most Expensive Toilet) कौन इस्तेमाल करता है। चलिए आपको बताते हैं।
वर्ल्ड टॉयलेट डे (World Toilet Day 2022) को मनाने के लिए हर वर्ष एक अलग थीम रखी जाती है। इसके तहत लोगों को जागरूक किया जाता है। वर्ष 2022 की थीम मेकिंग द इनविजिबल विजिबल है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, विश्व में 3.6 बिलियन लोगों के पास उचित शौचालय और स्वच्छता तक पहुंच नहीं है, जबकि 673 मिलियन लोग खुले में शौच करते हैं।
ज्यादातर लोग समझते हैं कि दुनिया का सबसे महंगा शौचायल (World Most Expensive Toilet) किसी सुल्तान या बेहद अमीर शख्स के पास होगा। ये गोल्ड का बना होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, दुनिया का सबसे महंगा शौचालय (World Most Expensive Toilet) धरती पर नहीं है। इसे अंतरिक्ष में बनाया गया है। ये टॉयलेट अंतरिक्ष स्टेशन में है। रिपोर्टस के मुताबिक, इसे बनाने में करीब 19 मिलियन डॉलर यानी करीब 1 अरब, 36 करोड़, 58 लाख, 72 हजार रुपये की लागत आई है। इसकी देख-रेख पर भी काफी खर्चा आता है।
कहा जाता है कि एक कम्प्यूटर के की-बोर्ड पर टॉयलेट की सीट से 200 गुना ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं। इसलिए टॉयलेट की सफाई रोज करनी चाहिए और इसके लिए अच्छे फिनाइल का यूज करना चाहिए। एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 20 फीसदी लोग टॉयलेट जाने के बाद हाथ नहीं धोते हैं। 30 फीसदी लोग हाथ धोने के लिए साबुन का यूज करते हैं। भारत में अभी भी ग्रामीण इलाकों में लोग शौच करने के बाद मिट्टी या राख से हाथ धोते हैं।