नई दिल्ली: आपने मैसूर के शासक सुल्तान फतेह अली खान यानी टीपू सुल्तान (Tipu Sultan) की कई कहानियां सुनी होंगी। टीपू सुल्तान को भारत का पहला स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है। उन्होंने अंग्रेजों का पुरजोर विरोध किया। उन्हें मैसूर का टाइगर (Tiger of Mysore) कहा जाता है। बताया जाता है कि उनके शासन काल में कई चीजों का अविष्कार हुआ था। लेकिन क्या आपको पता है कि टीपू सुल्तान के पास एक सोने का मैजिक बॉक्स था। ये बॉक्स अंग्रेजों ने अपने कई अधिकारियों को गिफ्ट किया। अब ये बॉक्स कहां है इस बारे में कोई खास जानकारी नहीं है, लेकिन ये मैजिक बॉक्स कितना खास था आज हम आपको बताएंगे।
जब भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन किया तो टीपू सुल्तान के इस खास मैजिक बॉक्स को भी ले लिया। इस सोने से बने बॉक्स को ईस्ट इंडिया कंपनी के जनरल रॉबर्ट बेल ने अपने दोस्त सर चार्ल्स हॉपकिंसन को गिफ्ट कर दिया था। बाद में हॉपकिंसन ने इसे अपने भतीजे हंस विलियम सोथबी को दे दिया। ये मैजिक बॉक्स सोथबी ने अपनी पत्नी चार्लोट कोर्निश को दिया। बाद ये इनग्राम बायवाटर को मिला। इस तरह टीपू सुल्तान का मैजिक बॉक्स अंग्रेजों के हाथों में कई सालों तक घूमता रहा। 1914 में रॉबर्ट बेल के पोते चार्ल्स फ्रांसिस बेल को ये बॉक्स वसीयत में मिला। न्यूऑर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 में इसे एक शाही नीलामी में देखा गया था।
आप सोच रहे होंगे कि टीपू सुल्तान के जमाने में बना सोने का ये बॉक्स इतना खास क्यों है, जो कई सालों से अंग्रेजों के लिए इतना जरूरी है। इस बॉक्स पर 20 परतें हैं। जो एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इसके अलावा इसकी हर सतह पर गणित के अंक बन गए हैं। इसे देखने पर ये किसी डाइस जैसे लगता है, जिसका इस्तेमाल कई तरह के खेलों में किया जाता है। इसे देखकर लगता है कि शायद इस बॉक्स का इस्तेमाल टीपू सुल्तान के शासन में किसी गेम को खेलने में किया जाता होगा। द टाइगर ऑफ मैसूर नाम के ब्लॉगर ने अपनी एक वीडियो में बताया है कि इस मैजिक बॉक्स का इस्तेमाल उस जमाने में गणित की एडवांस कैलकुलेशन के लिए किया जाता होगा। आपको बता दें कि टीपू सुल्तान के शासन काल में भारतीय पंचाग का इस्तेमाल करके अरबी में एक कलैंडर बनाया गया था, जो काफी एडवांस था।
क्या किसी खजाने की चाबी था टीपू सुल्तान का मैजिक बॉक्स?
टीपू सुल्तान के मैजिक बॉक्स के असली रहस्य का पता तो अंग्रेज भी नहीं लगा पाए। उस जमाने में जब साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारत काफी पीछे था, तब टीपू सुल्तान सबसे पहले बांस से बने रॉकेट का आविष्कार किया था। ये बात जानकर शायद आपको हैरानी होगी, लेकिन ये सच है। ये रॉकेट हवा में 200 मीटर तक दूसरी तय कर सकता था। बांस के रॉकेट के बाद उन्होंने लोहे से रॉकेट बनाए। कहा जाता है टीपू सुल्तान के पिता हैदर अली के पास भी 50 से ज्यादा रॉकेटमैन थे। कुछ लोग बताते हैं कि टीपू सुल्तान का मैजिक बॉक्स एक तरह की चाबी था, जिसकी मदद से उसके खजाने की दीवार खुलती थी। लेकिन चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध में टीपू सुल्तान को अंग्रेजों ने हैदराबाद और मराठों के निजाम के समर्थकों की मदद से हरा दिया था। इसके बाद 4 मई 1799 को श्रीरंगापटना में टीपू सुल्तान की हत्या करके अंग्रेजों ने ये मैजिक बॉक्स ले लिया।