देश का बजट आज पेश होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्री लगातार 8वीं बार बजट पेश करेंगी, जो अपने आप में रिकॉर्ड होगा। इससे पहले मोरारजी देसाई अब तक सबसे ज्यादा बार बजट पेश करने वाले वित्त मंत्री रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला बजट कब पेश किया गया था?
भारत में बजट पेश करने का चलन ब्रिटिश शासन काल से शुरू हुआ और पहला बजट आजादी से पहले पेश हुआ था। हालांकि, ये बजट दिल्ली में नहीं, बल्कि लंदन में पेश किया गया था। उस वक्त भारत के सचिव कहलाने वाले ईस्ट इंडिया कंपनी के स्कॉटिश अर्थशास्त्री जेम्स विल्सन ने इसे ब्रिटिश क्राउन के सामने पेश किया था।
क्यों पेश किया गया बजट?
दरअसल, 1857 के विद्रोह की वजह से अंग्रेजी हुकूमत को काफी नुकसान हुआ था। विद्रोह को ब्रिटिश हुकूमत ने क्रूरता के साथ दबाया था। इस पूरे घटनाक्रम की पूरी दुनिया सहित लंदन के हाउस ऑफ कॉमन्स में भी निंदा हुई। 1857 के विद्रोह के बाद सरकार को हुए नुकसान की भरपाई के लिए भारत में एक कर प्रणाली लागू करने का खाका खींचा गया। ज्यादा उगाही के लिए नई कर प्रणाली लागू करने का प्रस्ताव रखा गया। 7 अप्रैल, 1860 को पहला केंद्रीय बजट पेश किया गया था।
इस बजट में प्रस्तावित कर प्रणाली को लेकर समय-समय पर कई संशोधन किए गए। 1886 में एक अलग आयकर अधिनियम पारित किया गया। विल्सन के इस प्रस्ताव का हाउस ऑफ कॉमन्स में आलोचना भी हुई। सर चार्ल्स ट्रेवेलियन ने भारत के लोगों पर नए कर लगाने की अव्यवहारिकता के बारे में अपनी राय दी थी। उन्होंने कहा था कि भारत में वर्तमान संकट वर्तमान पीढ़ी की स्मृति में घटित किसी भी घटना की तुलना में अच्छे या बुरे, दोनों तरह के परिणामों से भरा हुआ है। अब जो रास्ता अपनाया जाएगा, उस पर पूर्व में हमारे साम्राज्य का भविष्य निर्भर करेगा। कई सदस्यों ने इस बजट और इसमें दिए गए कर प्रणाली के प्रावधानों की आलोचना की।
आजाद भारत का पहला बजट
देश की आजादी के बाद एक मजबूत आर्थिक आधार की जरूरत थी। स्वतंत्रता के बाद पहला बजट 26 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे भारत के पहले वित्त मंत्री आर के शनमुखम चेट्टी ने प्रस्तुत किया था। यह बजट भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने के मकसद से तैयार किया गया था, ताकि स्वतंत्रता के बाद देश की आर्थिक स्थिति को सुधारने की दिशा में कदम उठाए जा सके। उस समय पहला केंद्रीय बजट भारत के विभाजन के दौरान हुए बड़े पैमाने पर दंगों के बीच पेश किया गया था।