जयपुर। राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का पुराना रिवाज है। इस बार रिवाज बदलेगा या फिर राज बदलेगा इसका फैसला पांच करोड 26 लाख 90 हजार 146 मतदाता शनिवार को मतदान के जरिए करेंगे । प्रदेश में पिछले 30 साल में हर पांच वर्ष में सरकार बदलने की परंपरा है। प्रदेश में पिछले तीन चुनाव से एक और रिवाज 200 में से 199 सीटों मतदान होने का बना है। इस चुनाव में भाजपा ने सभी दो सौ सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं। वहीं कांग्रेस ने 199 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। कांग्रेस ने एक सीट राष्ट्रीय लोकदल के लिए समझौते में छोड़ी है।इस बार चुनाव में करीब दो दर्जन सीटों पर अन्य दलों के प्रत्याशी और निर्दलीय उम्मीदवार कांग्रेस व भाजपा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
क्या फिर कायम रहेगा रिवाज?
प्रदेश की करणपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर की मौत के कारण चुनाव टाल दिया गया है। अब दो सौ में से 199 सीट पर ही शनिवार को मतदान होगा। इससे पहले 2013 में चुरू सीट से बसपा प्रत्याशी जगदीश मेघवाल के निधन के कारण 199 सीटों पर चुनाव हुए थे। चुरू में एक महीने बाद चुनाव हुआ था। 2018में रामगढ़ सीट पर बसपा के लक्ष्मण सिंह की मौत के कारण चुनाव टाला गया
1993 में स्व. भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व में भाजपा सत्ता में आई। पुिर 1998 में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। 2003 में कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई उस समय कांग्रेस को मात्र 21 सीट मिली। वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। 2008 में फिर चुनाव हुए तो गहलोत दूसरी बार सीएम बने। 2013 में वसुंधरा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी और फिर 2018 में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनी और गहलोत तीसरी बार सीएम बने। पिछले तीस साल में बारी-बारी से गहलोत और वसुंधरा ही सीएम बनते रहे हैं।
इन सीटों पर मजबूत है निर्दलीय व छोटे दलों के प्रत्याशी
करीब दो दर्जन सीटों पर छोटे दल व निर्दलीय प्रत्याशी कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों पर भारी पड़ रहे हैं। इनमें चित्तोड़गढ़ सीट पर भाजपा के बागी चंद्रभान आक्या डीडवाना में भाजपा के बागी युनूस खान,शिव में भाजपा के बागी रविंद्र सिंह भाटी,खंडेला में भाजपा के बागी बंशीधर,बाड़मेर से भाजपा की बागी प्रियंका चौधरी, कोटपुतली में भाजपा के बागी मुकेश गोयल,सुमेरपुर में भाजपा के बागी मदन राठौड़, सांचौर में भाजपा के बागी जीवाराम चौधरी,सवाईमाधोपुर में भाजपा की बागी आशा मीणा,बसेड़ी में काग्रेस के बागी खिलाड़ी लाल बैरवा,राजगढ़ कांग्रेस के बागी जौहरीलाल मीणा,छबड़ा में कांग्रेस के बागी नरेश मीणा,सादुलशहर में कांग्रेस के बागी ओम विश्नोई,पुष्कर में कांग्रेस के बागी गोपाल बाहेती,सिवाना में कांगेस के बागी सुनील परिहार,शाहपुरा में कांग्रेस के बागी आलोक बेनीवाल,लूणकरणसर में कांग्रेस के बागी विरेंद्र बेनीवाल,भरतपुर में बसपा प्रत्याशी गिरीश चौधरी,बहरोड़ में निर्दलीय बलजीत यादव,खींवसर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के हनुमान बेनीवाल,केकड़ी में निर्दलीय बाबूलाल,मसूदा में ब्रहम्देव कुमावत,बानसूर में रोहिताश्व कुमार नागौर सीट पर हबीबुर्रहमान कांग्रेस और भाजपा प्रत्याशियों के लिए सिरदर्द बने हुए हैं।
आप और जेजेपी का नहीं कोई खास असर
बसपा,माकपा,आरएलपी और भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने तो 2018 में भी अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) और जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) ने पहली बार प्रत्याशी खड़े किए हैं। अब तक के चुनावी माहौल को देखते हुए दोनों ही पार्टिियों का कोई खास असर नजर नहीं आ रहा है। माकपा दांतारामगढ़ व भादरा में मजबूत नजर आ रही है।